पटना/कमला कान्त पांडेय

लालू परिवार से छोटे बेटे तेजस्वी यादव की शादी के बाद अब एक और बड़ी खबर आ रही है.सूत्रों की मानें तो जल्द ही राजद की कमान लालू प्रसाद के हाथ से तेजस्वी को थमा दी जायेगी. बताया जा रहा है कि पार्टी और परिवार में इस पर सहमति बन चुकी है.अब बस सबकी निगाहें 20 फरवरी की ओर टिकी हैं.कहा जा रहा है कि इसी तारीख को राजद को नया राष्ट्रीय अध्यक्ष मिलने के बाबत सारे पत्ते खुल जाएंगे.

20 फरवरी को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक

सियासी गलियारों में यह चर्चा तेज है कि राजद अब नये प्रमुख को चुनने की तैयारी में है.लालू प्रसाद की सेहत को देखते हुए कुछ नया फैसला लिया जा सकता है.चर्चा यह है कि खुद लालू प्रसाद अब चाहते हैं कि संगठन को मजबूत करने के लिए यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सक्रिय नेता के हाथ में जाए.इसके लिए 20 फरवरी की तारीख इसलिए महत्वपूर्ण है,क्योंकि 20 फरवरी को पटना में राजद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक है.सूत्रों की मानें तो इसी बैठक में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद को लेकर भी बात होनी है.वर्तमान में राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव का तीन वर्षों का कार्यकाल 10 दिसंबर 22 को खत्म होने वाला है.लालू यादव की सेहत को देखते हुए ऐसा संभव है कि समय से पहले ही राजद अपना नया राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन ले.

लालू का विकल्प बन गए हैं तेजस्वी


लालू यादव के विकल्प के बतौर पहले राबड़ी देवी को देखा जाता था. लेकिन अब पूरी तरह से राजद के नेतृत्व और लालू प्रसाद के विकल्प के तौर पर तेजस्वी यादव को ही देखा जाता है.लालू यादव वर्चुअल संवाद के दौरान खुलकर यह बात सबके बीच रख चुके हैं कि तेजस्वी यादव ने उनके आकलन से अधिक खुद को साबित किया है.राजद के स्थापना दिवस यानी पांच जुलाई से शुरू होने वाला संगठन चुनाव व सदस्यता अभियान की प्रक्रिया मार्च से ही इस बार शुरू हो जाएगी.ऐसा माना जा रहा है कि सितंबर से अक्टूबर के बीच ही राजद अपने नये राष्ट्रीय अध्यक्ष के सिर पर ताज रख देगा.हालांकि अंतिम फैसला आने तक अभी सब कुछ सिर्फ अटकलों पर ही है.

जगदानंद सिंह

खरमास बाद जदयू का खेल


इधर, राजद के कई नेताओं पर जेडीयू की नजर है. नए साल में जेडीयू राजद में तोड़फोड़ कर सकती है. राजद के नेताओं का दावा है कि खरमास के बाद देखिएगा खेला होगा. राजद कई बार खेला की बात कर चुका है. लेकिन, अब तक कोई बड़ा खेला नीतीश सरकार के खिलाफ या जेडीयू के खिलाफ एक साल में नहीं कर पाया है. अब इसकी चर्चा खूब है कि राजद के बड़े नेताओं पर जेडीयू की नजर है.राजद के वरिष्ठ नेताओं रामचंद्र पूर्वे, जगदानंद सिंह, अब्दुलबारी सिद्दीकी और शिवानंद तिवारी पर जेडीयू की नजर है.

किंग महेंद्र की सीट का सौदा!

जेडीयू से राज्यसभा सदस्य किंग महेन्द्र के निधन से भी राज्यसभा की सीट खाली हुई है. रामचंद्र पूर्वे का झुकाव कई बार विधान परिषद में भी नीतीश कुमार की तरफ दिख चुका है. वह राजद के पढ़े-लिखे नेता हैं,शिक्षा मंत्री रह चुके हैं और राजद के प्रदेश अध्यक्ष भी, लेकिन हाल के दिनों में सरकार के खिलाफ एक बयान भी उन्हें देते हुए नहीं देखा गया. राजद का स्थापना दिवस हो या पार्टी के बड़े आयोजन वह नहीं दिखते हैं. हां वे विधान परिषद् में सत्र के समय जरूर दिखते हैं.राजद नेताओं में जगदानंद सिंह के बारे में माना जाता है कि जदयू कोई बड़ा राजनीतिक पद भी दे तब भी वे नीतीश कुमार की जेडीयू में नहीं जाएंगे. लेकिन, जगदानंद सिंह के पुत्र इंजीनियर अजीत सिंह के बारे में चर्चा है कि वह जदयू में जा सकते हैं. जेडीयू इसमें लगी हुई है. जगदानंद सिंह के दूसरे पुत्र सुधाकर सिंह रामगढ़ से राजद के विधायक हैं.वह पहले भाजपा में थे और भाजपा के टिकट से चुनाव भी लड़ चुके थे.

ओसामा शहाब

ओसामा शहाब पर भी नज़र

जेडीयू की नजर सिवान के दिवंगत सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन के पुत्र ओसामा पर भी है.राजनीति की समझ रखने वाले कहते हैं कि जो बड़े नेता जेडीयू में शामिल नहीं हुए उनके परिवार में राजनीतिक सेंधमारी की गई. जैसे कि रघुवंश प्रसाद सिंह के बेटे सत्यप्रकाश सिंह, कांग्रेस नेता सदानंद सिंह के बेटे शुभानंद सिंह को जेडीयू में शामिल किया गया. ब्रह्मानंद मंडल से नीतीश कुमार से राजनीतिक संबंध खराब हो गए. लेकिन, उनके बेटे नचिकेता जदयू में हैं. इन नेता पुत्रों की भी इच्छा इधर से उधर जाने की रही होगी.

2022 जोरआजमाइश का साल

वर्ष 2020 में राजद के तीन जाने पहचाने चेहरे प्रेमा चौधरी, महेश्वर यादव और डॉ. अशोक कुमार राजद छोड़ जेडीयू में शामिल हुए थे. 2021 में बिहार विधान परिषद के पूर्व उपसभापति सलीम परवेज ने राजद छोड़ जदयू की सदस्यता फिर से ले ली. उन्होंने कहा कि राजद में घुटन महसूस कर रहा था. पूर्व सांसद शहाबुद्दीन के इलाज के समय और मौत के बाद राजद के बड़े नेताओं की बेरुखी से उन्होंने राजद छोड़ने की बात कही थी. कुम्हरार से राजद के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले डॉ. धर्मेन्द्र ने भी जेडीयू की सदस्यता ले ली. एक तरफ नए साल में तीन वर्षों के बाद राजद का सांगठनिक चुनाव होने वाला है. दूसरी तरफ राजद की तरफ जेडीयू की नजर है. दोनों ओर से जोर आजमाइश होगी.

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