सेराज अनवर

PATNA:अख़्तरुल ईमान के लिए यह आख़िरी दांव है.पिछली बार वह 72 हज़ार वोट से पिछड़ गये थे.दूसरे फेज में कल यानी 26 अप्रैल को किशनगंज में भी वोट पड़ेंगे.ऐसे तो यहां त्रिकोणीय फ़ाइट है लेकिन चर्चे में अख़्तरुल ईमान है.उनकी जीत की बिहार में दुआएं हो रही हैं.मोहम्मद तस्लीम उद्दीन के बाद अख़्तरुल ईमान को किशनगंज समेत सीमांचाल की बदहाली,विकास,ख़ुशहाली के लिए लड़ने वाले नेताओं में गिनती होती है.ग़ुलाम सरवर के बाद अख़्तरुल ईमान ओजस्वी वक्ता भी माने जाते हैं.मुस्लिम क़यादत की एक मुकम्मल पहचान अख़्तरुल ईमान हैं.किशनगंज पर इनका क़र्ज़ है.

जब सेकुलरिज़म केलिए दी थी क़ुर्बानी

वर्ष 2014 की बात है. देश मोदी लहर से ग्रस्त था. अख्तरुल ईमान किशनगंज लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे थे. नीतीश कुमार ने टिकट दिया था. जदयू अकेले मैदान में था. कांग्रेस से मौलाना असरारूल हक़ क़ासमी भाग्य आज़मा रहे थे. उस वक़्त वह सांसद थे. अख्तरुल ईमान दमख़म से उतरे थे. कांग्रेस उम्मीदवार में अख्तरुल ईमान को लेकर खलबली थी. धर्मनिरपेक्ष मतों में बिखराव का अंदेशा था. अख्तरुल ईमान भांप गये. मौलाना असरारुल हक़ क़ासमी की जीत सुनिश्चित करने को लेकर अख्तरुल ईमान मैदान से हट गये. सेकुलर आवाम ने अख्तरुल ईमान की इस पहल की तारीफ़ की थी. हालांकि, उनकी पार्टी जदयू को यह बात नागवार गुज़री थी. मौलाना असरारूल हक़ क़ासमी की किशनगंज से जीत हुई थी. कांग्रेस और किशनगंज पर अख्तरुल ईमान का क़र्ज़ है. अपनी सियासी कैरियर को दांव पर लगाकर उन्होंने क़ुर्बानी दी थी. वहां की आवाम को शायद यह बात आज याद होगा. इस बार लड़ाई तीखी और त्रिकोणीय है. कांग्रेस से डॉ जावेद आज़ाद एक तरफ़ मैदान में हैं तो दूसरी तरफ़ से जदयू के मास्टर मुजाहिद खड़े हैं. इस बार अख्तरुल ईमान सांसद असद उद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस इत्तिहादुल मुस्लिमीन (एआइएमआइएम) की टिकट पर भाग्य आज़मा रहे हैं. वह एआइएमआइएम के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं. मास्टर मुजाहिद भी चुनावी समीकरण को अपने पक्ष में करने के लिए ज़ोर लगाये हुए हैं.

अपने चेहरे पर चुनाव लड़ रहे हैं.

68 फीसदी मुस्लिम आबादी वाले इस लोकसभा क्षेत्र में मुख्य मुकाबला कांग्रेस के सीटिंग सांसद जावेद आजाद और AIMIM से अख्तरुल ईमान के बीच है.मास्टर मुजाहिद लड़ाई को त्रिकोणीय बनाने में तुले हुए हैं.तीनों यही साबित करने में जुटे हैं कि मुसलमानों के सबसे बड़े हितैषी हम हैं.इन तीनों प्रत्याशियों में जो यहां मुस्लिमों को साध लेगा,उसकी जीत तय है.इसमें अख़्तरुल ईमान का पलड़ा भारी है.वह इकलौते उम्मीदवार हैं जो अपने चेहरे पर चुनाव लड़ रहे हैं.कांग्रेस उम्मीदवार डॉ.जावेद राहुल गांधी के चेहरे पर चुनाव मैदान में हैं.यह बात कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष खड़गे की मौजूदगी में पूर्व कांग्रेसी विधायक तौसीफ आलम ने किशनगंज की चुनावी सभा में कही.उन्होंने कहा कि डॉ.जावेद से जनता नाराज़ है.लेकिन आप राहुल के चेहरे पर वोट करें,कांग्रेस के लिए वोट करें.रही बात मास्टर मुजाहिद की तो वह भी अपने चेहरे पर नहीं मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ रहे हैं.जदयू के उम्मीदवार को भाजपा का सपोर्ट होने से काफी नुकसान होता हुआ दिख रहा है.किशनगंज में कांग्रेस के बाद सबसे ज्यादा चर्चा AIMIM के प्रत्याशी और प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान की है.अख़्तरुल ईमान मुद्दों की राजनीति करते रहे हैं.सीमांचल की लड़ाई को राष्ट्रीय स्तर पर इन्होंने आयाम दिया.आज देश भर में किशनगंज की बदहाली पर चर्चा हो रही है.चर्चा के केन्द्र में अख़्तरुल ईमान हैं.जिस तरह से भाजपा ने बांग्लादेश घुसपैठिये का मुद्दा को उठाया है.सब जानते हैं उस लड़ाई को सिर्फ अख़्तरुल ईमान लड़ सकते हैं.इसी लड़ाई को लड़ कर कभी मोहम्मद तस्लीम उद्दीन सीमांचाल के गांधी कहलाये.अख़्तरुल ईमान उसी तस्लीम उद्दीन के राजनीतिक शागिर्द रहे हैं.

समुदाय की आवाज़ माने जाते हैं

अख़्तरुल ईमान तर्कसंगत बात रखते हैं. मुस्लिम मुद्दों के चैम्पियन माने जाते हैं. उर्दू का सवाल हो या सूर्य नमस्कार का, हर मुद्दे पर भिड़ जाते हैं. स्कूलों में सूर्य नमस्कार  को अनिवार्य करने पर उन्होंने कड़ा विरोध किया था.जाति आधारित गणना पर गठबंधन सरकार को घेरते हुए उन्होंने मुस्लिम जातियों को राजनीति में उचित हिस्सेदारी देने का दबाव बनाया था.यह चुनाव मुस्लिम नेतृत्व के उभार के लिए ज़रूरी माना जा रहा है.बिहार की सियासत में अख्तरुल ईमान अपने समुदाय की आवाज़ माने जाते हैं. जब भी मुसलमानों के सामने गम्भीर मुद्दा आता है, समुदाय की निगाहें अख्तरुल ईमान की तरफ़ टिक जाती है. सबको मालूम है कि उनकी लड़ाई कोई नहीं लड़ेगा तो अख्तरुल ईमान है. इसलिए उनकी जीत की दुआ पूरे बिहार में हो रही है. वह लोग भी जीत की कामना कर रहे हैं जो एआइएमआएम को बहुत ज़्यादा पसंद नहीं करते. यह अख्तरुल ईमान की अपनी छवि, अपनी ताक़त है. मुसलमान संसद में अख्तरुल ईमान को एक मज़बूत आवाज़ के बतौर देखना चाहते हैं.अख़्तरुल ईमान ने मतदान की संध्या पर दर्दनाक अपील जारी की है जिसमें उन्होंने आपसे गुज़ारिश करके जा रहा हूं कि तीसरी बार आया हूं अगर इस बार जीता कर नहीं भेजा तो शायद चौथी बार आने के लायक़ न रहुं.सबको आपने आज़माया है एक बार मुझे मौक़ा दीजिए.

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