सेराज अनवर

PATNA:सियासतदां का काम ख़रीदना और बेचना होता है.उलेमा इस्तेमाल और बिकते क्यों हैं?छह वर्ष पहले की बात है,अप्रैल का ही महीना था,15 तारीख़ को गांधी मैदान पटना में दीन बचाओ-देश बचाओ रैली का आयोजन किया गया था.रैली इमारत ए शरिया ने की थी.बिहार में ख़ालिद अनवर का नाम पहली बार सुना गया था.रैली के शाम में ख़त्म होते-होते ख़ालिद अनवर का नाम नीतीश कुमार ने एमएलसी उम्मीदवार के बतौर घोषित कर दिया.आज तक यह बात क्लीयर नहीं हो सका कि ख़ालिद अनवर ने भीड़ का इस्तेमाल किया या इमारत ए शरिया द्वारा यह प्रायोजित था?ख़ालिद अनवर का रिश्ता अभी भी इमारत ए शरिया से उतना ही गहरा है.प्रत्येक कार्यक्रम में इमारत ए शरिया जदयू एमएलसी ख़ालिद अनवर को बुलाना नहीं भूलता.

पटना में सैफुल्लाह रहमानी को सम्मानित करते ख़ालिद अनवर


अब बात इमारत ए शरिया के खंडन का.
इमारत शरिया,इदारा शरिया, जमीअत उलमा हिन्द, जमात-ए-इस्लामी,जमीयत अहले हदीस, ऑल इंडिया मोमिन कॉन्फ्रेंस,मजलिस उलमा और खुतबा इमामिया (अहल तशा)ने संयुक्त बयान जारी कर कहा है कि एनडीए नेता और जदयू एमएलसी डॉ. खालिद अनवर साहब का एक वीडियो फेसबुक पर अपलोड किया गया है जिस से पता चलता है कि वे एनडीए के राजनीतिक हितों के लिए गलत और निराधार समर्थन की घोषणा कर जनता को गुमराह कर रहे हैं.इस बयान में उन्होंने जमीयत उलमा, इमारत शरिया, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, खानकाह और अन्य सम्मानित राष्ट्रीय संगठनों के समर्थन का झूठा दावा किया है.इमारत शरिया और अन्य सभी राष्ट्रीय संगठन खालिद अनवर द्वारा एनडीए (जेडीयू) को समर्थन देने के संबंध में किए गए निराधार दावों को पूरी तरह से खारिज करता है और उनके इस व्यवहार की कड़े शब्दों में निंदा करते हैं.

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष हजरत मौलाना खालिद सैफुल्लाह साहब रहमानी और महासचिव हजरत मौलाना फजलुर रहीम मुजद्दिदी साहब ने भी डॉ खालिद अनवर साहब के बयान की कड़ी निंदा की है. इन दोनों सज्जनों ने अपने बयान में यह भी कहा है कि बोर्ड संसदीय राजनीति से दूर रहने की नीति पर चलता है. उन्होंने कहा है कि बोर्ड न तो किसी पार्टी विशेष का समर्थन करता है और न ही विरोध. कुछ राजनीतिक नेताओं ने दावा किया है कि बोर्ड एनडीए का समर्थन करता है, लेकिन यह दावा पूरी तरह से गलत है.

ढाका में सैफुल्लाह रहमानी के साथ ख़ालिद अनवर


यह तो बात हो गयी ख़ालिद अनवर का बयान और खंडन की.हम बताते हैं कि उलेमा कैसे इस्तेमाल होते हैं.बिहार में पिछले महीने एमएलसी का चुनाव था.जदयू में ख़ालिद अनवर की जगह नहीं बन रही थी.पिछले बार भी दीन और उलेमा का इस्तेमाल कर ख़ालिद एमएलसी बन गये थे.इसमें इमारत ए शरिया की सहमति थी.सिर के बल चिलचिलाती धूप में मुसलमान गांधी मैदान आये थे.कहते हैं कि जेपी के बाद यह सबसे बड़ी रैली थी.एक घटना ने सब गुड़गोबर कर दिया.इमारत अपनी सियासत और अपनी क़यादत नहीं खड़ी कर पायी.इसी नतीजे में ख़ालिद अनवर जैसे नेता क़ायद बन जाता है.कभी इसी इमारत ए शरिया ने इंडिपेंडेंट पार्टी बना कर बैरिस्टर मोहम्मद यूनुस को बिहार का प्रथम प्रधानमंत्री(आज़ादी से पहले राज्यों में मुख्यमंत्री नहीं होते थे)बना दिया था.


बहरहाल,इस बार ठीक एमएलसी चुनाव के वक़्त ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना ख़ालिद सैफुल्लाह रहमानी बिहार आये या बुलाये गये?ख़ालिद अनवर की तो मानो मुंह मांगी मुराद मिल गयी.पहले बेतिया में ख़ालिद ने बोर्ड अध्यक्ष के साथ मंच साझा किया और पटना में अपने सरकारी आवास पर उन्हें बिरयानी की दावत पर बुलाया.इस दावत में नीतीश कुमार के क़रीबी मंत्री अशोक चौधरी और इमारत के कुछ मौलाना भी शामिल हुए.इस तस्वीर को सोशल मीडिया में जम कर चलाया गया.कह सकते हैं सैफुल्लाह रहमानी इस्तेमाल हो गये.ख़ालिद से ज़्यादा क़ुसूरवार यह उलेमा हैं.आप जब इस्तेमाल होने को तैयार हैं तो कोई इस्तेमाल क्यों न करे.इसमें हायतौबा मचाने वाली कौन सी बात है.ख़ालिद को नीतीश ने यही समझ कर तो एमएलसी बनाया कि उलेमा पर इनकी पकड़ है.उलेमा के झुंड का यह प्रदर्शन करते रहते हैं.दीगर बात है कि

लालू,नीतीश,राहुल,अखिलेश को मुस्लिम समाज का फ़ीडबैक ग़लत मिलता है.समाज भी इसको लेकर ज़्यादा चिंतित नहीं है.वैसे ख़ालिद अनवर की इस हरकत से नीतीश को नुक़सान ही होना है,उलेमा को दिल से जीतना चाहिए न कि इस्तेमाल करना चाहिए और उलेमा को भी इस्तेमाल होने से बचना चाहिए.

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One thought on “उलेमा इस्तेमाल होते हैं तो नेता करता है”

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