सेराज अनवर

PATNA :धर्म का राजनीतिकरण न लोकतंत्र केलिए अच्छा है न समुदाय के लिए.मगर हर चुनाव में यह होता रहा है,इस चुनाव में भी हो रहा है.जदयू एमएलसाई ख़ालिद अनवर और फ़हद रहमानी(अमीर ए शरीयत फैसल रहमानी के अनुज).उर्दू अख़बार हमारा समाज ने प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव के साथ इमारत ए शरिया और अन्य मुस्लिम संगठनों के नुमाइंदे की ‘ख़ुफ़िया मीटिंग’की ख़बर छापी है.हमारा समाज के मालिक ख़ालिद अनवर हैं.ख़ालिद अनवर पर आरोप लगा कि एक वीडिओ जारी कर जदयू की हिमायत में उलेमा को दिखाने का प्रयास किया.इमारत ए शरिया सहित आधा दर्जन मुस्लिम संगठनों ने संयुक्त बयान जारी कर ख़ालिद अनवर के बयान की मज़म्मत की और कहा कि हम न तो किसी पार्टी विशेष का समर्थन करते हैं और न ही विरोध.बहुत अच्छी बात है.

सवाल यह है कि फिर रात के अंधेरे में इमारत ए शरिया के अमीर ए शरीयत पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से मिलने क्यों गये.लोकसभा चुनाव के वक़्त ही मिलने किस लिए गये.राजनीति से जब वास्ता नहीं है तो आधा दर्जन मुस्लिम संगठन तेजस्वी से क्यों मिला.यह वही संगठन है जिसने ख़ालिद अनवर के बयान का खंडन किया.ख़ालिद की हरकत को कोई जायज़ नहीं ठहरा सकता तो मुस्लिम संगठनों की हरकत जायज़ कैसे हो सकती है.मालूम हो कि ख़ालिद और फहद रहमानी इस मुद्दे पर आमने सामने हैं.ऐसे तो अमीर ए शरीयत फैसल रहमानी हैं लेकिन फ़हद रहमानी ही इमारत ए शरिया के कार्यों को देखते हैं ऐसा कहा जाता है. बहरहाल,हमने भी इस ख़ुफ़िया मीटिंग की जांच-पड़ताल की और इसको सही पाया.

19 अप्रैल को इमारत ए शरिया से 9 बजे रात में तीन गाड़ी निकली.इसमें आधा दर्जन संगठनों के नुमाइंदे सवार थे.इसमें बहुत लोगों के इल्म में नहीं था कि जाना कहां है.जब वह उतरे और सामने तेजस्वी को देखा तो माजरा समझ में आया.एक घंटा मुलाक़ात चली.प्रतिनिधि मंडल में अमीर ए शरीयत फ़ैसल रहमानी पेश-पेश थे.फ़हद रहमानी बाद में आये.यह बहस अलग है कि पूर्व के अमीर ए शरीयत किसी के यहां नहीं गये.राजनीतिक दलों के हेड इजाज़त लेकर अमीर ए शरीयत से मिलते रहे हैं.तेजस्वी के बुलावे पर दौड़े-दौड़े जाने से इमारत की कौन सी प्रतिष्ठा बढ़ गयी?

क्या बात हुई यह भी नहीं मालूम?मुलाक़ात की वजह क्या थी यह भी नहीं मालूम?जब मुलाक़ात हुई तो इसकी ख़बर या तस्वीर क्यों नहीं जारी हुई नहीं मालूम?मीटिंग बहुत ख़ुफ़िया थी शायद इस वजह कर ख़बर दबायी गयी.लेकिन,सब अल्लाह वाले थे इसलिए झूठ नहीं बोल सकते कि तेजस्वी से मुलाक़ात नहीं हुई.हमारा समाज ने आज के अंक में मुलाक़ात की ख़बर को प्रमुखता से छापा है.तेजस्वी-फ़हद रहमानी की सिंगल तस्वीर लगी चार कॉलम की की हेडिंग है-आरजेडी पर घबराहट तारी,तेजस्वी यादव ने बुलाई ग़ैरमामूली ख़ुफ़िया मीटिंग’सबहेडिंग है-तेजस्वी की पटना रिहाईशगाह पर पहुंची कई मुस्लिम शख़्शियात,इंजीनियर फ़हद रहमानी ने आरजेडी को मज़बूत करने की यक़ीनदहानी करायी’.

दिलचस्प बात यह है कि ख़ालिद अनवर के बयान का खंडन करने में जितनी ताक़त लगायी गयी,ख़ुफ़िया मुलाक़ात की ख़बर का अभी तक खंडन नहीं किया गया है.वफद में कौन-कौन लोग थे यह भी जान लीजिए ताकि कल को आप सवाल कर सकें कि राजद ने जब 18 प्रतिशत मुस्लिम आबादी को टिकट बंटवारा में मुकम्मल नज़रअंदाज़ कर दिया गया तो ये लोग बेचैन क्यों नहीं हुए.ये वही लोग हैं जो सदन में मुस्लिम प्रतिनिधित्व के घटने पर घड़ियाली आज़ आंसू बहाते हैं और उचित हिस्सेदारी नहीं मिलने पर चुप्पी साध लेते हैं.जब टिकट ही नहीं मिलेगा तो सदन में मुस्लिम प्रतिनिधित्व बढ़ेगा कैसे?

अल-हम्द ट्रस्ट के सरपरस्त अशफ़ाक़ रहमान का कहना है कि मुसलमानों के यह इदारे उस वक़्त किस खोल में सिमटे थे जब एमएलसी और राज्यसभा चुनाव में इस समुदाय को नज़रअंदाज़ कर दिया गया और लोकसभा चुनाव में दो कौड़ी का नहीं समझा.तेजस्वी से मिलने वालों में जमात ए इस्लामी बिहार के अमीर मौलाना रिज़वान अहमद इसलाही,इमारत ए शरिया के कार्यकारी नाज़िम मौलाना शिब्ली अल क़ासमी,अहले हदीस के ख़ुर्शीद अहमद मदनी,जमियतुल उलेमा के डॉ.फैज़ अहमद क़ादरी(जमियतुल उलेमा अरशद मदनी गुट के बिहार के महासचिव हुस्न अहमद क़ादरी के बेटे)जमियतुल उलेमा महमूद मदनी गुट बिहार के महासचिव मोहम्मद नाज़िम,इदारा ए शरिया से डॉ.फ़रीद अमानुल्लाह(इदारा ए शरिया के सरपरस्त मरहूम सना उल्लाह के बेटे) और ऑल इंडिया मजलिस ए मशावरत बिहार के पूर्व महासचिव डॉ.अनवारुल होदा शामिल थे.

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