सेराज अनवर

मगध के मुसलमान एपिसोड-1

PATNA:भारत एक लोकतांत्रिक देश है,लोकतंत्र की खूबसूरती सभी समुदाय को समेट कर चलने में है.हाल के दिनों में लोकतंत्र पर चोट पहुंचाने की जो बुनियाद रखी गयी है उसके ज़द में मुसलमान है.ऐसा भी नहीं है कि भारतीय जनता पार्टी ही सिर्फ क़ुसूरवार है बल्कि सभी राजनीतिक दलों की इसमें सहभागिता है.आख़िर क्या वजह है देश के पन्द्रह राज्यों के मंत्रिमंडल में एक भी मुस्लिम मंत्री नहीं है?भाजपा शासित राज्यों में ही नहीं,कांग्रेसनीत सरकारों में भी यही हाल है.अब यह वबा(बीमारी) बिहार में भी आ गयी है.बिहार से आधा दर्जन राज्यसभा सदस्यों में एक भी मुसलमान को उच्च सदन नहीं भेजा गया.अब विधान परिषद की बारी है.21 मार्च को होने वाले चुनाव में 11 सदस्य निर्वाचित होंगे.

क्या राज्यसभा,विधान परिषद में मुसलमानों का हक़ नहीं बनता?

पहले राज्यसभा की बात.बिहार से छह उम्मीदवार निर्वाचित हुए.जदयू और भाजपा से उम्मीद कम ही थी कि मुसलमान पर मेहरबान होंगे.महागठबंधन जिस पर मुसलमान मेहरबान है उसने भी कोई महत्व नहीं दिया.राजद ने तो बजाबता अशफ़ाक़ करीम का टिकट काट दिया और उनकी जगह संजय यादव को भेज दिया.कांग्रेस ने भी अखिलेश सिंह को रिपीट कर मुसलमानों को मायूस किया.राज्यसभा में देखा जाये तो महागठबंधन से ब्राह्मण,भूमिहार,यादव का कोटा पूरा हो गया है.काउंसिल में अब बारी मुसलमान की है और वह भी मगध के मुसलमान की.

मगध के मुसलमान को ही क्यों?

मगध मुसलमानों का गढ़ है.प्रमंडल के छब्बीस में से सत्रह सीट पर मुसलमान विनिंग फ़ैक्टर है.तेजस्वी और राहुल गांधी की सभा में मुसलमानों की ही भीड़ जुट रही है.ज़ाहिर सी बात है लोकसभा चुनाव में मगध के मुसलमानों का उत्साहित वोट चाहिए तो राज्यसभा की भरपाई विधान परिषद में करनी होगी.हर हालत में मगध के दमदार,क़द्दावर मुस्लिम नेता को काउन्सिल में भेजना ही होगा.मुसलमानों की सभी सीट नदी उस पार मिथिलांचल और सीमांचाल में चली जाती है.पटना,नालंदा,मगध के मुसलमान हमेशा ख़ाली हाथ रह जाता है.उसे न विधान परिषद में हिस्सेदारी मिलती है और न राज्यसभा,लोकसभा में पूछा जाता है.शकील अहमद खान के बाद मगध को महागठबंधन ने मुकम्मल नज़रंदाज़ कर रखा है.

कौन हो सकता है उम्मीदवार?

उम्मीदवार का मसअला नहीं है.एक ऐसा युवा मुस्लिम नेता का राष्ट्रीय राजनीति में उभार हुआ है जिसको विधान परिषद भेजने पर पूरा मगध गर्व करेगा.वह नाम है उमैर खान उर्फ टिक्का खान का.उमैर खान कांग्रेस नेता राहुल गांधी के सह पदयात्री हैं.उन्होंने देश में साम्प्रदायिक राजनीति के ख़ात्मा और देश में शांति,ख़ुशहाली के लिए पैरों में छाले डाल लिए.उमैर खान बिहार से एकलौते मुस्लिम नेता हैं जो राहुल गांधी के साथ 136 दिन, 3570 KM… कन्याकुमारी से कश्मीर तक की भारत जोड़ो यात्रा में निरंतर शामिल रहे.अभी भी राहुल गांधी की औरंगाबाद में न्याय यात्रा की सफलता में उन्होंने जी जान लगा दिया.मुसलमान इस बार मगध से अपने नेता को विधान परिषद में देखना चाहता है.औरंगाबाद लोकसभा सीट पर भी समझौता हो सकता है मगर इसका ऐलान जल्द करना होगा.काउन्सिल नहीं तो लोकसभा में टिकट दे कर मगध के सुखा को मिटाया जा सकता है.हिना शहाब को लेकर ऐसे भी महागठबंधन का माहौल बिगड़ा हुआ है कहीं इस बार मगध को भी नज़रअंदाज़ करना महंगा न पड़ जाये?

By admin

2 thoughts on “क्या विधान परिषद में भी ख़ाली हाथ रह जायेगा मुसलमान?”
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