सेराज अनवर

मगध के मुसलमान एपिसोड-2

PATNA:बिहार में जाति आधारित गणना हुआ तो राज्य के 2 करोड़ मुस्लिम आबादी को भी उम्मीद जगी कि उसके आंगन में भी उचित हिस्सेदारी के फूल खिलेंगे लेकिन,लगता अब यह है कि एक समुदाय के रूप में सबसे बड़ी प्रतिशत वाली क़ौम को fool बनाया गया है.राजद,कांग्रेस और जदयू ने दो-तीन प्रतिशत यानी मुसलमानों से बहुत कम आबादी वाली जाति ब्राह्मण,भूमिहार को राज्यसभा भेजने का काम किया.जातीय गणना का नारा था-‘जिसकी जितनी आबादी उसकी उतनी भागीदारी’यादवों की भी आबादी का प्रतिशत मुसलमानों से कम है.कहां,मुसलमान आबादी के हिसाब से मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री बनाने की मांग कर रहे थे और देखा जाये तो एक अदद राज्यसभा,विधान परिषद सदस्य पर भी अकाल है.भाजपा को छोड़ कोई भी कथित सेक्युलर पार्टी जाति आधारित गणना को सार्थक करने को तैयार नहीं है.

विधान परिषद में क्या है समीकरण?

बिहार विधान परिषद के 11 सदस्यों का कार्यकाल छह मई 2024 को खत्म हो रहा है.उसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार,पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, शाहनवाज हुसैन के अलावा पूर्व मंत्री संजय कुमार झा, कांग्रेस नेता प्रेमचंद्र मिश्रा, हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष और नीतीश कुमार सरकार में कैबिनेट में मंत्री संतोष कुमार सुमन, मंगल पांडेय, रामचंद्र पूर्वे, खालिद अनवर, रामेश्वर महतो और बीजेपी नेता संजय पासवान का नाम शामिल है. इसके लिए 21 मार्च को वोटिंग होगी.अभी किसी दल ने अपने उम्मीदवार का नाम घोषित नहीं किया है.बिहार विधान परिषद में एक उम्मीदवार की जीत के लिए 22 विधायकों का समर्थन चाहिए होगा.इसमें तीन सीटों पर बीजेपी को आसानी से जीत हासिल हो जाएगी. वहीं दो सीटों पर जेडीयू को  जीत मिल जाएगी.5 महागठबंधन से भी जाना तय है.एक सीट पर एनडीए और इंडिया गठबंधन में फ़ाइट हो सकता है.

मुसलमानों की सम्भावना क्या है?

भाजपा तो मुसलमानों को भेजने से रही,शाहनवाज़ हुसैन की स्तिथि भी इस बार डवांडोल लग रही है.जदयू से नीतीश कुमार का जाना तय है.दूसरी सीट पर मारामारी है.कहा यह जा रहा है कि पार्टी ने अपने प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा के लिए दूसरी सीट रिज़र्व कर दिया है.यानी जदयू में भी एक मुस्लिम ख़ालिद अनवर का पत्ता साफ.मुसलमान एनडीए का न वोटबैंक है न सियासी ग़ुलाम इसलिए बहुत ज़्यादा बोलने का हक़ नहीं है.हालांकि,भाजपा का नारा है-‘सबका साथ,सबका विकास’.नीतीश कुमार का भी टैगलाइन है-‘हम वोट की चिंता नहीं करते,जो वोट नहीं देते उसका भी काम करते हैं’.इस दावे के पसमंजर में भाजपा और जदयू दोनों को ख़ाली हो रही अपनी सीट पर मुसलमान को ही विधान परिषद भेजना चाहिए.यदि ऐसा नहीं करते तो लालू प्रसाद की पार्टी पर तंज़ करने का वह अधिकार खो देते हैं कि मुसलमान(अशफाक़ करीम)को राज्यसभा न भेज कर अपने स्वजातीय संजय यादव को उच्च सदन भेजा’.कल राजद भी यही आरोप उछालेगा कि मुसलमान(शाहनवाज़ और ख़ालिद अनवर)का टिकट काट दिया,यह कैसा सबका साथ और सबका विकास है.

महागठबंधन का भी इम्तिहान

विधान परिषद चुनाव महागठबंधन का भी इम्तिहान है.मुसलमानों से मोहब्बत का इम्तिहान है कि वाक़ई राजद,कांग्रेस को मुसलमानों की उचित हिस्सेदारी का कितना ख़्याल है.राज्यसभा चुनाव में ठगा गया मुसलमान विधान परिषद चुनाव में नहीं ठगा जायेगा?राजद से राबड़ी देवी का विधान परिषद जाना तय है.रही दो सीट उस पर किसको पार्टी भेजती है यह देखना होगा.राजद के खाते में तीन सीट आयेगी.एक सीट कांग्रेस की प्रेमचन्द्र मिश्रा की ख़ाली हो रही है.कांग्रेस ने लम्बे अर्से से मुसलमानों को राज्यसभा या विधान परिषद नहीं भेजा है.दो मुसलमान को राज्य कैबिनेट में मंत्री बनाने की बात आयी तब भी कन्नी काट गयी.कांग्रेस का बेस वोट इस वक़्त सिर्फ मुसलमान बचा है.राज्यसभा और विधान परिषद दोनों जगह स्वर्ण जातियों को भेजने का कोई मतलब नहीं है.विधान सभा की एक सीट पर मुसलमान का हक़ बनता है ऐसा समुदाय का कहना है.

गया एयरपोर्ट पर राहुल गांधी का स्वागत करते उमैर खान(फ़ाइल फ़ोटो)

मगध में मुस्लिम नुमाइंदगी की कमी दूर कर सकती है कांग्रेस

राहुल गांधी मोहब्बत की ख़ूब बात कर रहे हैं.मुसलमान जानना चाहता है इस दुकान में मुसलमानों को भी कुछ मिलेगा या नहीं?मगध में मुसलमानों की बड़ी आबादी है.लोकसभा हो या विधानसभा सभी सीटों पर यह समुदाय असर रखता है. मगध में कांग्रेस मुर्दा थी.हाल के दिनों में उमैर खान उर्फ़ टिक्का खान के राष्ट्रीय राजनीति की क्षितिज पर प्रभावशाली प्रादुर्भाव ने मगध में कांग्रेस को ज़िन्दगी बख्शी है.उमैर जनाधार वाले और समुदाय पर पकड़ रखने वाले नेता हैं.अभी वो पार्टी के अल्पसंख्यक विभाग के राष्ट्रीय पदाधिकारी हैं.उमैर के जुनून और लगन से मगध के मुसलमान न सिर्फ कांग्रेस से जुड़ते जा रहे हैं बल्कि महागठबंधन को भी इससे मज़बूती मिल रही है.मगध के मुसलमानों का कहना है कि महागठबंधन ख़ास कर राहुल गांधी को उमैर खान को विधान परिषद भेज कर जिसकी जितनी आबादी उसकी उतनी भागीदारी के स्लोगन को चरितार्थ करना चाहिए.ऐसे भी मगध में मुस्लिम नुमाइंदगी का अकाल है.मरहूम शकील खान के बाद यहां से मुस्लिम मंत्री बनाना बंद ही हो गया.जबकि राजद से दो विधायक मोहम्मद कामरान और मोहम्मद नेहाल उद्दीन मगध से ही आते हैं.बावजूद इसके एक अदद विधान परिषद सदस्य भी महागठबंधन नहीं बना सकती तो किस मुंह से सेक्युलरिज़म की बात करेगी?मगध के मुसलमानों की निगाह विधान परिषद चुनाव पर लगी है और ख़ास कर उमैर खान पर.मालूम हो कि बिहार के दो चर्चित चेहरे में कन्हैया कुमार और उमैर खान भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी के साथ शामिल थें.कन्हैया को पार्टी ने AICC में जगह दे दी.उमैर खान को न्याय मिलना बाक़ी है.मगध के लिए मुस्लिम एमएलसी कांग्रेस की ‘न्याय यात्रा’ का सौग़ात होगा.

By admin

2 thoughts on “मुसलमानों को हिस्सेदारी नहीं तो फिर जातीय गणना का क्या मतलब?”
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