मंथन डेस्क

हुआ यूं कि डॉ. खालिद अनवर ने राजद के प्रति अकलियतो का समर्पण और निष्ठा के बावजूद उन्हें नज़रंदाज़ किये जाने को सदन में राज्य के अकलियत समाज को अहसास कराने की कोशिश की तो राजद के ही कुछ लोग उन्हें ही कटघरे में खड़े कर रहे हैं.ख़ालिद अनवर का इरादा सिर्फ अपनी क़ौम में राजनीतिक जागरूकता लाना था.लेकिन,उनकी बात को अधूरे तौर पर पेश किया गया.

PATNA:जदयू के एमएलसी डॉ.ख़ालिद अनवर ने कहा है कि मोहम्मद तस्लीम उद्दीन और मोहम्मद शहाबुद्दीन साहब के बारे में हमने कोई अपमानजनक बात नहीं कही है,मेरा कहने का आशय वह नहीं था जिस तरह से पेश किया गया है .हमारा कहना यह है की सुनियोजित ढंग से राष्ट्रीय जनता दल मुस्लिम राजनीतिक प्रतिनिधित्व को हाशिये पर धकेल रही.लालू यादव परिवार का मोहम्मद तस्लीम उद्दीन और मोहम्मद शहाबुद्दीन साहब के साथ कैसा रवैया रहा यह किसी से छुपा है.शहाबुद्दीन साहब की जिंदगी के अंतिम क्षण में लालू यादव जी के परिवार द्वारा जो सलूक किया गया वह जग जाहिर है.


ख़ालिद अनवर कहते हैं कि बेशक इसमें कोई शक नहीं है कि लालू यादव ने ही गरीबों,शोषित,वंचितों को नया सामाजिक आयाम दिया.उनके सामाजिक बदलाव का स्वरूप भी बिहार ने देखा है.
किंतु जिस (M+Y)समीकरण के बलबूते और डंके की चोट पर बिहार में लालू यादव जी का पूरा परिवार और उनकी प्राइवेट लिमिटेड राजद पार्टी ने जो राजनीतिक बुलंदी हासिल की.राष्ट्रीय जनता दल को बिहार का अकलियत समाज और इस समाज के कई राजनीतिक दिगज्जो ने जिस ईमानदारी से पार्टी को सींचा एवं संवारा उस ईमानदारी का क्या खूब सिला लालू प्रसाद के परिवार और उनकी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल ने दिया,यह सारा देश देख रहा है.आदरणीय श्री लालू प्रसाद यादव जी के जेल जाने के बाद भी जिस तरह शहाबुद्दीन साहब और उनके कई समकक्ष जैसी लीडरशिप के बदौलत बिहार में राजद का नेतृत्व बरकरार रहा.किंतु उसी का दूसरा पहलू यह भी है कि मरहूम जनाब शहाबुद्दीन साहब की जिंदगी के अंतिम क्षण में लालू यादव जी के परिवार द्वारा जो सलूक किया गया वह जग जाहिर है.


ख़ालिद अनवर कहते हैं की कुल मिलाकर राजद ने सिर्फ और सिर्फ राज्य के अकलियतों का ‘वोट बैंक’के रूप में राजनीतिक इस्तेमाल किया किंतु जब-जब वक्त आया उन्हें उनकी वफादारी का फर्ज अदा करने का उन्होंने ऐसा कदापि नहीं किया.
ज़ब मौका आया अकालियतो को मुख्यमंत्री बनाने का तो लालू जी ने राबड़ी देवी जी को मुख्यमंत्री बना दिया,जो मरहूम सहाबुद्दीन साहब के वक्त की लीडरशिप के नेताओ के साथ नाइंसाफी हुई, ज़ब वक्त आया उपमुख्यमंत्री बनाने का तो अपने बेटे तेजस्वी यादव जी को उपमुख्यमंत्री बना दिया.
जनाब अब्दुल बारी सिद्दीकी जी के साथ नाइंसाफी हुई.राजद हमेशा से अकलियतों का राजनीतिक पंख कतरने का काम करती रही.


ख़ालिद अनवर कहते हैं यह लोकतंत्र है जनाब!राजशाही नहीं,जो उनके परिवार के अलावा गद्दी पर कोई नहीं बैठ सकता.कल ही राज्यसभा के लिए उम्मीदवारों की घोषणा की गई यह जानते हुए की बिहार में हमेशा की तरह राजद का बुनियाद अकलियत समाज के कंधो पर टिकी रही है फिर भी एक अकलियत के बेटा अशफाक करीम की जगह हरियाणा के रहने वाले अपने करीबी संजय यादव को राज्यसभा भेजा जाना कितना न्याय संगत है?
क्या पार्टी में इस काबिल कोई अकलियत चेहरा नही है तो,फिर पार्टी के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ का क्या औचित्य है?याद कीजिए वह पल जब मरहूम शहाबुद्दीन साहब की मैयत दिल्ली में थी,
लालू परिवार के सदस्य दिल्ली में होते हुए पार्टी के स्तंभ और वफादार को देखने तक नहीं गये.
ओसामा साहब दर-दर भटकते रहे किंतु राजद परिवार खामोश रहा,सारा बिहार चीख रहा था कि शहाबुद्दीन साहब के साथ ही तेजस्वी यादव जी के राजनीति की कब्र खोद दी जाएगी.बेचारा अकलियत समाज के मासूम लोग करते भी तो क्या करते?

हुआ यूं कि डॉ. खालिद अनवर ने राजद के प्रति अकलियतो का समर्पण और निष्ठा के बावजूद उन्हें नज़रंदाज़ किये जाने को सदन में राज्य के अकलियत समाज को अहसास कराने की कोशिश की तो राजद के ही कुछ लोग उन्हें ही कटघरे में खड़े कर रहे हैं.ख़ालिद अनवर का इरादा सिर्फ अपनी क़ौम में राजनीतिक जागरूकता लाना था.लेकिन,उनकी बात को अधूरे तौर पर पेश किया गया.ऐसा उनके समर्थकों का कहना है.

By admin

2 thoughts on “शहाबुद्दीन साहब के साथ लालू परिवार ने अच्छा सुलूक नहीं किया,सियासी ऐतबार से राजद ने मुसलमानों को बर्बाद कर दिया”
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