बक़ौल असरार जामई, भाईचारे का यह मतलब अब नहीं होना चाहिए- हम तो उनको भाई समझे और वह चारा हमें.
मंथन डेस्क
PATNA:आजकल जदयू के बैनर तले कारवान ए इत्तेहाद व भाईचारा घूम रहा है.भाईचारा का बड़ा-बड़ा दावा किया जा रहा है.असद उद्दीन ओवैसी की पार्टी ने कारवान की नीयत पर सवाल उठाया है.उसका कहना है कि यह कारवान मुसलमानों को सियासी चारा बनाने की साज़िश है.पार्टी के इकलौते विधायक और एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष अख़्तरुल ईमान का कहना है कि महागठबंधन केलिए मुसलमान भाई नहीं सिर्फ चारा है.अगर वह हमें भाई मानते तो इंडिया गठबंधन में मुसलमानों की आवाज़ एआईएमआईएम को भी शामिल करते.उन्होंने पूछा है कि यह कैसा कारवान भाईचारा है जो केवल मुस्लिम अल्पसंख्यक आबादी में घूम रहा है.यदि इसका उद्देश्य भाईचारा है तो इसे बहुसंख्यकों के बीच भी जाना चाहिए, लेकिन इसका मक़सद तो गठबंधन सरकार के लिए मुस्लिम वोटों को मजबूत करना और मुस्लिम अल्पसंख्यकों को चारा बनाना है.
हरियाणा में 1000 मुस्लिम घरों और दुकानों पर बुलडोज़र चला दिया गया लेकिन नीतीश और तेजस्वी के मुंह से एक भी शब्द नहीं निकला.
अख़्तरुल ईमान ने कहा है कि अगर यह कारवां भाईचारा के लिए बिहार के अलग-अलग हिस्सों में जा रहा है तो मुस्लिमों की समस्याओं को नीतीश सरकार तक पहुंचाकर उनका समाधान करने का काम क्यों नहीं कर रहा है? सीतामढ़ी के हाफ़िज़ साद को नूंह की मस्जिद में नृशंस हत्या कर दी गई, लेकिन चूंकी यह मुसलमानों का मामला था, इसलिए गठबंधन सरकार चुप रही, कोई उनसे मिलने नहीं गया और उन्हें मुआवज़ा नहीं दिया गया. बिहार में गुलनार,सनोबर और मुस्लिम ड्राइवर की हत्या हुई लेकिन मौजूदा सरकार चुप रही.बिहारशरीफ में 100 साल पुराना ऐतिहासिक मदरसा जला दिया गया. गृह ज़िला होने के बावजूद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज तक वहां नहीं गये. न किसी तरह के मुआवजे की घोषणा की गई.दो युवकों की भी मौत हो भी हो गयी. उन्हें किसी प्रकार का मुआवजा भी नहीं दिया गया.
महागठबंधन की सरकार मुसलमानों को अपना बंधुआ वोटर मानती है और सोचती है कि हमें हर हाल में वोट मिलेगा, इसलिए मुसलमानों के लिए कुछ करने की जरूरत नहीं है. अगर कुछ किया तो मेरा हिंदू वोट बिखर जाएगा. यह इतनी खतरनाक राजनीतिक थ्योरी है कि मुसलमान बद से बदतर होते जा रहे हैं.
विशेष टीईटी उर्दू का मुद्दा, स्कूलों में 100 अंकों की उर्दू की पढ़ाई को व्यावहारिक रूप से खत्म करने का मुद्दा, उर्दू सलाहकार समिति और बिहार उर्दू अकादमी के गठन में पांच साल की देरी का मुद्दा, ये सभी मुद्दे मुस्लिम अल्पसंख्यक से जुड़े हुए हैं जिनसे नीतीश सरकार ने आंखें मूंद ली हैं. अख़्तरुल ईमान ने कहा कि महागठबंधन की सरकार मुसलमानों को अपना बंधुआ वोटर मानती है और सोचती है कि हमें हर हाल में वोट मिलेगा, इसलिए मुसलमानों के लिए कुछ करने की जरूरत नहीं है. अगर कुछ किया तो मेरा हिंदू वोट बिखर जाएगा. यह इतनी खतरनाक राजनीतिक थ्योरी है कि मुसलमान बद से बदतर होते जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि पिछले पांच-सात वर्षों से नीतीश सरकार पूरे बिहार में मुसलमानों की लगातार अनदेखी कर रही है. जिसमें सीमांचल खास तौर पर निशाने बना हुआ है.
अख़्तरुल ईमान ने यह भी कहा कि जो लोग हमें बीजेपी की बी टीम कहते हैं, उन्हें हमें गठबंधन में शामिल करना चाहिए, इससे पता चल जाएगा कि हम धर्मनिरपेक्ष हैं या नहीं.
उन्होंने कहा कि मुसलमानों को अब राजनीतिक रूप से जागृत और सक्रिय होने की जरूरत है. उन्होंने यह भी कहा कि महागठबंधन मजलिस इत्तिहाद-उल-मुस्लिमीन को इसमें शामिल नहीं कर रहा है क्योंकि इससे मुस्लिम नेतृत्व खड़ा हो जायेगा. मुसलमानों को इस राजनीतिक नुक़्ता को समझना चाहिए और मांग करनी चाहिए कि मजलिस इत्तेहाद अल-मुस्लिमीन को महागठबंधन में शामिल किया जाए.उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि जो लोग खुद बीजेपी सरकार के साथ रहे हैं और बीजेपी को पाला-पोसा है, उन्हें एआईएमआईएम को बीजेपी की बी टीम कहकर मुसलमानों को गुमराह करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए. एआईएमआईएम एक धर्मनिरपेक्ष पार्टी है और लोग इस बात को बखूबी समझ रही है. अख़्तरुल ईमान ने यह भी कहा कि जो लोग हमें बीजेपी की बी टीम कहते हैं, उन्हें हमें गठबंधन में शामिल करना चाहिए, इससे पता चल जाएगा कि हम धर्मनिरपेक्ष हैं या नहीं.
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