आरा/मनीष

कल बिहार में न्यायपालिका के इतिहास में एक काला दिन था। न्यायपालिका और संविधान के सभी नियमों और मानदंडों को तोड़ते हुए, एक न्यायाधीश को उसके न्यायालय कक्ष के अंदर पुलिस अधिकारियों द्वारा शारीरिक रूप से हमला करना न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर खुला हमला है।यह बात आल इंडिया लॉयर्स एसोसिएशन फ़ॉर जस्टिस के राष्ट्रीय संयोजन समिति के सदस्य अमित कुमार गुप्ता उर्फ बंटी अधिवक्ता ने कही है.


रिपोर्ट्स के मुताबिक, घोघरडीहा थाना प्रभारी गोपाल कृष्ण और सब-इंस्पेक्टर अभिमन्यु कुमार शर्मा ने बहस के बीच जबरन घुसकर बिहार के झंझारपुर में अपर जिला न्यायाधीश अविनाश कुमार की पिटाई कर दी. उन्होंने कथित तौर पर जज पर पिस्टल भी तान दी थी।
न्यायपालिका के किसी सदस्य के साथ ऐसा व्यवहार अत्यंत निंदनीय और अस्वीकार्य है। गौरतलब है कि मार्च 2021 में बिहार पुलिस ने बिहार विधानसभा के अंदर विधायकों के साथ मारपीट की थी और अब ऐसा लग रहा है कि पुलिस की ज्यादती का खामियाजा जज भी भुगत रहे हैं.

वह कहते हैं कि हम धनबाद की उस घटना को भी याद करते हैं जहां सुबह की सैर के दौरान न्यायमूर्ति उत्तम आनंद को एक वाहन ने टक्कर मार दी थी और उनकी मौत हो गई थी। पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करने में विफलता जो यह सुनिश्चित करती है कि न्यायपालिका के सदस्य स्वतंत्र और निष्पक्ष वातावरण में कार्य निष्पादित कर सकें।

एसोसिएशन न्यायमूर्ति अविनाश कुमार के प्रति अपनी एकजुटता जाहिर करते हुए है मांग करता है कि दोनो आरोपियों के साथ पुलिस अधीक्षक को भी प्राथिमिकी में नामित किया जाए और उन सभी को त्वरित सुनवाई के माध्यम से न्याय के कटघरे में लाया जाए। न्यायपालिका की स्वतंत्रता और उसके कर्तव्यों के स्वतंत्र और निष्पक्ष निष्पादन के लिए न्यायपालिका के सभी सदस्यों के लिए पर्याप्त सुरक्षा की मांग करता है।
,

Leave a Reply

Your email address will not be published.