पटना/सेराज अनवर
जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री रामचंद्र प्रसाद सिंह 16 अगस्त को पटना पहुंच रहे हैं.इस बाबत जदयू कार्यालय ने भी सूचना जारी कर दी है.पार्टी दफ़्तर में आयोजित स्वागत समारोह में शामिल होने के लिए पार्टी नेताओं-कार्यकर्ताओं को आमंत्रित किया गया है.मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी कल कह दिया कि पार्टी के अंदर कोई गुटबाज़ी नहीं है.फिर भी आरसीपी के समर्थक,शुभचिंतक डरे हुए हैं,खुलकर स्वागत करने से हिचकिचा रहे हैं.पता नहीं नीतीश नाराज़ हो जायेंगे या ललन सिंह!
हालांकि,पटना में आरसीपी के स्वागत का होर्डिंग्स,पोस्टर,बैनर टंगना शुरू हो गया है.अकेले अभय कुशवाहा पटना को पाटने में लगे हैं.वही कुशवाहा,जिसने राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह की तस्वीर नहीं लगायी और उपेंद्र कुशवाहा को नेता मानने से इंकार कर दिया है.जदयू के पूर्व विधायक अभय कुशवाहा के अधिक्तर होर्डिंग्स में ललन सिंह की तस्वीर नहीं है.एक्का-दुक्का पोस्टर पार्टी प्रवक्ता प्रगति मेहता का भी नज़र आ जा रहा है.इन दोनों नेताओं को छोड़ कर किसी और ने अभी तक आरसीपी के स्वागत में होर्डिंग्स लगाने की हिम्मत नहीं जुटायी है.वे लोग भी सामने नहीं आ रहे जिन पर आरसीपी का आशीर्वाद रहा है.देखना शेष है कि पांच दिनों में नजारा बदलता है या नहीं?केंद्र में मंत्री बनने के बाद आरसीपी के पटना आगमन पर स्वागत,अभिनंदन को शक्ति परीक्षण के रूप में देखा जा रहा है.
आरसीपी सिंह को जिस तरह अपमानित कर अध्यक्ष पद से हटाया गया और पार्टी की कमान एक भूमिहार को सौंप दी गयी तब से ही पिछड़ी-अति पिछड़ी जाति की मानी जाने वाली पार्टी जदयू में खलबली मची है.टिकारी के जदयू विधायक रहे अभय कुशवाहा खुल कर सामने आ गये हैं.प्रदेश जदयू के महासचिव पूर्व विधायक द्वारा पार्टी कार्यालय के सामने में लगाये गये पोस्टर में नीतीश-आरसीपी सहित कुल 14 नेताओं की तस्वीर लगायी थी मगर राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह की उसमें तस्वीर नहीं थी.इस पर काफी बवाल हो गया.विवाद के बाद होर्डिंग्स को हटा दिया गया.यह साफ-साफ पार्टी के दो गुट में बंटने का संकेत है.सोशल मीडिया पर भी जदयू के पिछड़ी जाति के नेता आरसीपी सिंह के स्वागत में एयरपोर्ट पहुंचने की अपील कर रहे हैं. मालूम हो कि ललन सिंह के स्वागत में बिहार के भूमिहरों का जुटान था.अब शक्ति परीक्षण में यदि आरसीपी गुट हावी रहा तो जदयू को टूट से कोई नहीं बचा सकता.फेल होने पर आरसीपी सिंह की जदयू में भविष्य भी दांव पर लग जायेगा.उपेंद्र कुशवाहा पहले से ताक में बैठे हैं.16 के बाद पार्टी में वर्चस्व की लड़ाई छिड़नी यक़ीनी है.