देश के नब्बे प्रतिशत पत्रकार उनके साथ है.ख़बर को नहीं चला रहे,बल्कि दबा रहे हैं.जब मीडिया की एक बहुत बड़ी ताक़त अडानी को बचाने में लगी है तो वह डूब कैसे जायेंगे?

मंथन डेस्क

PATNA:अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद देश में सियासी बवाल मचा हुआ है.संसद से सड़क तक संग्राम है. अडानी ग्रुप के शेयर नीचे जा रहे हैं,लोग अडानी के डूबने की सम्भावना जता रहे हैं.मगर अशफाक़ रहमान ऐसा नहीं मानते.उनका कहना है कि अडानी कभी डूब नहीं सकते,लोग मुग़ालते में है.चार मीडिया वाले को ऐसा लग रहा है कि उनके हल्ला मचाने से अडानी डूब जायेगा.

जनता दल राष्ट्रवादी के राष्ट्रीय संयोजक अशफाक़ रहमान का कहना है कि जो लोग समझ रहे कि अडानी डूब रहा,यह उनकी ग़लतफहमी है.देश के नब्बे प्रतिशत पत्रकार उनके साथ है.ख़बर को नहीं चला रहे,बल्कि दबा रहे हैं.जब मीडिया की एक बहुत बड़ी ताक़त अडानी को बचाने में लगी है तो वह डूब कैसे जायेंगे?चार पत्रकार ही है जिसको लग रहा अडानी डूब रहा है तो उसे डूबाओ.रविश कुमार,अभिसार शर्मा,पुण्य प्रसून वाजपेयी,अजीत अंजुम अडानी के पीछे पड़े हैं.सच दिखा रहे हैं.उनको लगता है उनके सच दिखाने से देश की जनता का मूड बदल जायेगा.

इन चार पत्रकारों को कौन समझाये कि भले ही देश की दो-तीन रियासतें(स्टेट)बिक जाये मगर अडानी को डूबने नहीं दिया जायेगा.आपने सुना नहीं यह समझा नहीं!परम आदरणीय अडानी जी ने क्या कहा?यह भारत पर हमला है.ज़ाहिर सी बात है उनका डूबना भारत का डूब जाना है,इसलिए अडानी का डूबना असम्भव है.उन्हें किसी क़ीमत पर डूबने नहीं दिया जायेगा.हिंडनबर्ग भी समझ ले यह अमेरिका या चायना नहीं है कि उनकी रिपोर्ट पर ईडी,सीबीआई बैठ जायेगी,जेपीसी का गठन होगा.यहां लोग आदरणीय मोदी जी से बेपनाह मुहब्बत करते हैं.गैस सिलेंडर हज़ार रुपया का ख़रीद लेंगे,सौ पार लीटर पेट्रोल भरवा लेंगे,भूखे पेट रह लेंगे मगर मोदी को जितायेंगे.यह हिंडनबर्ग रिपोर्ट से कोई फर्क़ पड़ता है?यह भारत है.मेरा तो यही मानना है कि मोदी जी को उसी तरह वोट देना चाहिए जैसे देते आ रहे हैं.हो सके तो 543 पर भाजपा को ही जीता कर भेजना चाहिए.

अशफाक़ रहमान कहते हैं आपने देखा नहीं वित्त मंत्री सीतारामन ने किसके दिशा-निर्देश पर भाजपा की भलाई के लिए बजट बनाया,देश की जनता केलिए अगर बनायी होतीं तो अर्थशास्त्री की बजट बनाने में मदद लेतीं.जो नहीं लीं.मेरा तो यह भी मानना है कि भारत में अर्थशास्त्र की पढ़ाई समाप्त कर देनी चाहिए.जब अर्थशास्त्रियों की क़द्र ही नहीं,महत्वहीन बना दिया गया तो इसकी जरूरत क्या है?

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