मंथन डेस्क

GAYA:जाने-माने चिकित्सक और मिर्जा गालिब कॉलेज के नैक सदस्य डॉ.फरासत हुसैन के निधन पर कॉलेज में एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया, इसकी अध्यक्षता मसूद मंज़र और कुशल संचालन डॉ.सरवत शमसी ने किया.सुश्री शमसी ने कहा कि उनके नाम के आगे दिवंगत लगाने का साहस उनमें नहीं है.इस अवसर पर कॉलेज के सचिव शबी आरफीन शमसी, फिरोज अशरफ तथा मरहूम डॉ.फरासत के पुत्र और दिल्ली हाईकोर्ट के जाने-माने वकील शादान फरासत और उनकी पुत्री वरीशा भी मौजूद रहीं.

एक घंटा से अधिक चले इस कार्यक्रम में कई वक्ताओं ने उनपर अपने विचार रखे. प्रो. ऐनुल हक ने कहा कि उनका न होना चिकित्सा जगत का ही नहीं समाज का भी बड़ा नुकसान है. वह हमेशा समाज के लिए आगे बढ़कर काम करते थे.प्रो.अब्दुल कादिर ने माना कि वह सिर्फ दवा से ही नहीं अपनी आत्मीयता भरी बातों से भी पेशेंट को ठीक कर देते थे. प्रो. अताउर रहमान ने बताया कि उन्हें पता था कि उन्हें कैंसर है बावजूद अपना दुःख चेहरे से कभी जाहिर नहीं करते थे.वहीं प्रो.सरफराज खान ने उन्हें इंसानियत का नमूना बताया और कहा कि वह पहले ऐसे डॉक्टर थे, पैसे नहीं पेशेंट की फिक्र होती थी.नैक कोऑर्डिनेटर डॉ.आफताब अहमद खान ने कहा कि नैक के कामों में वह हमेशा बढ़ -चढ़कर हिस्सा लेते थे.

कॉलेज के प्राचार्य डॉ शुजाअत अली खान ने विस्तार से उन पर अपनी बात रखते हुए कहा कि डॉक्टर साहब का चिकित्सा और शिक्षा जगत के साथ ही उनका खेल से भी गहरा लगाव था.वो खिलाड़ियों को उत्साहित करने के लिए काफी मदद किया करते थे. इस अवसर पर उनके पुत्र शादान ने ज़ोर देकर कहा कि पिता के न रहने पर वह कॉलेज के लिए हमेशा तैयार रहेंगे और उनके तमाम अधूरे सपनों को पूरा करेंगे. इस शोक सभा में अब्दुल रहमान और डॉ.शाहबाज़ ने भी अपने विचार रखे. कार्यक्रम के अंत में उनके लिए सभी लोगों ने अल्लाह से दुआएं की.

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