मंथन डेस्क

PATNA:देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर सियासी पारा चढ़ हुआ है. संभावना जताई जा रही है कि केंद्र सरकार मानसून सत्र के दौरान संसद में यूनिफॉर्म सिविल कोड पेश कर सकती है. इसपर विभिन्न दलों के ओर से प्रतिक्रिया आ रही है. अब जनता दल राष्ट्रवादी ने बड़ा बयान दिया है.जेडीआर के राष्ट्रीय संयोजक अशफ़ाक़ रहमान ने कहा है कि सिर्फ अल्पसंख्यकों को डराने केलिए यूसीसी का हव्वा खड़ा किया जा रहा है तो ग़लत है.

अशफाक़ रहमान भाजपा की केन्द्र सरकार पर तंज़ कसते हुए कहते हैं कि नौ साल बाद आंख क्यों खुली?नौ साल पहले इस तरह की चीज़ होनी चाहिये थी.आज जब सिर पर चुनाव है तो चुनाव जीतने के लिए यह मुद्दा उछाला जा रहा है.फिर भी हम यूसीसी का समर्थन करते हैं,इस बुनियाद पर कि एक देश एक क़ानून के तहत आ जायेगा और सम्भवतःआरक्षण स्वतः समाप्त हो जायेगा.लेकिन यह भी देखने की ज़रूरत है कि इससे दलितों,आदिवासियों,पिछड़ा वर्ग को अधिक नुक़सान तो नहीं हो रहा.

हमारी पार्टी की राय है कि यूसीसी आवश्य लागू होना चाहिये.मुसलमानों को भी इससे सबक़ मिलेगा.अभी आधा मुसलमान हैं.यूसीसी लागू होने पर मुकम्मल मुसलमान हो जायेंगे.आधा मुसलमान इसलिए हैं कि चोरी में हाथ काटने,अस्मतदरी में संगसार करने का शरिया क़ानून नहीं मानते लेकिन विवाह में शरीयत को मानते हैं.दोनों एक साथ नहीं चल सकता.आधा-अधूरा मुसलमान से काम नहीं चलने वाला,मुकम्मल मुसलमान बनना पड़ेगा.अमेरिका,इंग्लैंड में एक जैसा क़ानून है और मस्जिद-मन्दिर,गिरजाघर जाने की भी स्वतंत्रता है.धर्म पर कोई आंच नहीं है.

अशफाक़ रहमान कहते हैं कि सत्ता पक्ष जिस तरह यूसीसी पर राजनीति कर रही है,मुसलमानों को ख़ामोश रहने की ज़रूरत है.सत्ता पक्ष यह दिखाने की कोशिश कर रही है कि इससे मुसलमानों को चोट पहुंचेगा जबकि यह सच्चाई नहीं है.वह यूसीसी का रुख़ मुसलमानों की तरफ़ मोड़ कर अपने समाज का ध्यान भटकाना चाहता है.मुसलमानों को चाहिए कि वह ख़ामोशी अख़्तियार करे.सत्ता पक्ष कुछ दल्ले संस्थाओं को ख़रीद कर राजनीतिक लाभ केलिए यूसीसी का विरोध करवा सकती है और मुख़ालिफ़त का पूरा रुख़ मुसलमानों पर मोड़ दिया जायेगा.मुसलमानों को इससे बचना है.

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