पटना/सेराज अनवर

गया जिला परिषद के दिवंगत अध्यक्ष बिंदेश्वरी प्रसाद उर्फ बिंदी यादव आज जिलवासियों को शिद्दत से याद आ रहे हैं.आज ही के दिन गत वर्ष कोरोना से उनकी मौत हो गयी थी.प्रथम पुण्यतिथि पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी जा रही है.जिला परिषद परिसर में स्थापित उनकी आदमक़द प्रतिमा पर शुभचिंतकों,समर्थकों,परिवार ने फुल माला चढ़ा कर उनके प्रति आदर और सम्मान का भाव अर्पित किया.गया,जहानाबाद,अरवल के पंचायत जनप्रतिनिधि के अलावे राजनैतिक दलों, समाज सेवी संगठनों से जुड़े लोगों ने इस मौके पर भारी संख्या में उपस्थित होकर अपना श्रधा सुमन अर्पित किया.आयोजन स्थल पर बिंदी यादव की विधान पार्षद पत्नी मनोरम देवी,अनुज शीतल प्रसाद यादव मौजूद रहे.मनोरम और शीतल की ओर से प्रथम पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए लोगों को आमंत्रित किया गया था.सांसद रामकृपाल यादव से लेकर कई नेताओं ने बिंदी यादव को सफल राजनीतिज्ञ के साथ ग़रीबों,जरूरतमंदों का मददगार बताया.

कौन थे बिंदी यादव?

बिंदेश्वरी प्रसाद यादव का जन्म गया जिला के मोहनपुर प्रखंड के छोटे से गांव गणेशचक में हुआ था.राजनीति और समाज में उन्होंने अपने दम पर पहचान बनायी.जिला की राजनीति में वह देखते-देखते छा गये.लंबे अर्से के बाद जिला परिषद का चुनाव हुआ तो अध्यक्ष निर्वाचित किये गये.उनके अध्यक्षता में जिला परिषद ने काफी विकास किया,जिसकी मिसाल आज भी दी जाती है.उनके जीवित रहते तक न सिर्फ गया बल्कि जहानाबाद ,अरवल पुरे मगध में राजनीति का पैहिया उनके इशारे पर घूमता रहा.उन्होंने अपनी पत्नी मनोरमा देवी को स्थानीय निकाय विधान परिषद चुनाव में तीन जिलों पर प्रभुत्व क़ायम कर तीन बार विजयश्री दिलाने का काम किया.उनके अनुज शीतल प्रसाद यादव भी गया जिला परिषद के उपाध्यक्ष रहे हैं.गया की राजनीति में बिंदी यादव घराना का अलग रुतबा और रसूख़ रहा है.

पुण्यतिथि पर कार्यक्रम आयोजित

मनोरमा देवी फिर हैं उम्मीदवार

गया, जहानाबाद और अरवल जिला स्थानीय प्राधिकार निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाली मनोरमा देवी का कार्यकाल 16 जुलाई को समाप्त हो गया है.जदयू से उनकी उम्मीदवारी हालांकि तय मानी जा रही है.चुनावी तैयारी उन्होंने शुरू भी कर दी है. वैसे, बिंदी यादव की गैर मौजूदगी में विधान परिषद् का चुनावी नैया पार लगाना मनोरमा देवी के लिए थोड़ा कठिन ज़रूर है. फिर भी वह आश्वस्स्त हैं कि इस बार भी नैया पार लग जाएगी.बिंदी यादव के बाद इस घराने की मुखिया मनोरमा देवी ही हैं.एक बेटा जेल में बंद है,दूसरे सुपुत्र राजनीति का बागडोर सम्भाले हुआ है.मनोरमा ने विधानसभा चुनाव में अतरी सीट से जदयू के टिकट पर क़िस्मत आज़मायी थी.काफी नज़दीकी मुक़ाबला में चुनाव हार गयीं.

मनोरमा देवी,शीतल प्रसाद यादव

शीतल यादव संभालेंगे कमान

विधानसभा चुनाव में देवर और भाभी के एक साथ चुनाव लड़ने के नतीजे में दोनों को मिली हार के बाद परिवार संभल गया है.चुनाव में पड़ी रंजिश ख़त्म हो गयी है अब परिवार एकजुट है.दरअसल,शीतल और मनोरमा देवी दोनों विधानसभा चुनाव में कूद पड़े थे.शीतल वज़ीरगंज से निर्दलीय प्रत्याशी थे.ताक़त बंट जाने के कारण दोनों चुनाव हार गये.मनोरमा बहुत कम वोट से पराजित हुईं.शीतल यादव परिवार की फिर राजनीतिक बुलंदी के लिए बिंदी यादव की भूमिका में कमर कस रहे हैं.जिला परिषद उपाध्यक्ष रहने के कारण जिले भर में उनका अपना जनाधार है.मनोरमा के प्रति लोगों में सम्मान है,बिंदी यादव की जिले की राजनीति में मज़बूत पकड़ थी.मनोरमा की जीत को लेकर विश्वास की पूंजी यही है.बिंदी यादव को लोग आज जिस तरह याद कर रहे हैं,वह भविष्य की राजनीति तय करता दिख रहा है.शीतल यादव कहते हैं भैया को भूला पाना आसान नहीं है.वह हमेशा एक संघर्षशील और हमदर्द इंसान के रूप में याद किये जाते रहेंगे.राजनीति हो या समाज में आज हमारे घराने की पहचान उनकी ही वजह से है.

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