Seraj Anwar /Patna
मुस्लिम कलाल/इराक़ी जाति को हिन्दुओं की उपजाति में गणना किये जाने का मामला अभी ठंडा नहीं पड़ा है,इसकी गूंज अब बिहार विधान परिषद में सुनाई पड़ेगी.बिहार विधानमंडल का शीतकालीन सत्र 6 नवम्बर से शुरू होने वाला है. बिहार विधानसभा और बिहार विधान परिषद दोनों सत्र 10 नवम्बर तक चलेंगे.इस बार का सत्र महत्वपूर्ण माना जा रहा है. दरअसल, इस बार बिहार सरकार जाति आधारित गणना की विस्तृत रिपोर्ट सदन के पटल पर रखेगी और उसपर चर्चा कराएगी. इसके बाद आरक्षण का दायरा बढ़ाने पर अंतिम फैसला लिया जा सकता है.भारतीय जनता पार्टी इस सत्र में कलाल/इराक़ी जाति का मुद्दा उठायेगी.
कौन उठा रहा मुद्दा?भाजपा के एमएलसी हैं
डा.संजय पासवान.नवादा के हैं.समाजसेवी मसीह उद्दीन से मधुर सम्बन्ध है.उनसे पासवान ने पूछा कि फेसबुक पर देखा था कि आप मुस्लिम कलाल/इराक़ी की समस्या को लेकर सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव से मिले थे,क्या मामला है?मसीह उद्दीन ने उन्हें वस्तुस्थिति से अवगत कराया.संजय पासवान ने तुरंत परिषद सचिवालय में एक तारांकित प्रश्न डाल दिया जिसे परिषद के सभापति ने स्वीकृति प्रदान कर दी है.परिषद सचिवालय के पत्रांक: 3243 दिनांक 27-10-2023 के द्वारा यह प्रश्न सामान्य प्रशासन विभाग को भेज दिया गया है.इस तारांकित प्रश्न संख्या : ए0 -1 और नेवा नंबर: 1/205/39 के दिनांक 08-11-2023 को सदन पटल पर आने की संभावना है.क्योंकि यह वर्ग-3 का प्रश्न है और राज्य सरकार द्वारा वर्ग -3 के प्रश्नों का उत्तर सदन में देने की तिथि 8 नवम्बर निर्धारित है.
क्या पूछा जा रहा सवाल?
मंत्री, सामान्य प्रशासन विभाग यह बतलाने की कृपा करेंगे कि:- (क) क्या यह बात सही है कि राज्य के मुस्लिम अल्पसंख्यकों की प्रतिष्ठित संस्था ‘इमारत-ए-शरिया’ के प्रतिनिधि ने दिनांक- 12.10. 2023 को विभागीय सचिव से मिलकर मुस्लिम समुदाय की कलाल/इराक़ी जाति के लिए एनआईसी. पोर्टल में अलग से कोड आवंटित करने के संबंध में ज्ञापन सौंपा है ? (ख) क्या यह बात सही है कि पिछड़े वर्गों के लिए राज्य आयोग ने भी राज्य सरकार से इस आशय की अनुशंसा की है तथा अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार आयोग की अनुशंसा का कार्यान्वयन कराना राज्य सरकार के लिए बाध्यकारी है? यदि उपर्युक्त खण्डों के उत्तर स्वीकारात्मक हैं तो क्या सरकार कलाल /इराक़ी जाति के लिए एनआईसी पोर्टल पर अलग से कोड आवंटित करने का विचार रखती है, यदि हां तो कबतक, नहीं तो क्यों ?
क्या है पूरा मामला?
पिछले महीने राज्य सरकार की जाति आधारित रिपोर्ट आयी तो कलाल/इराक़ी बिरादरी को बनिया वर्ग में गिनती कर दी गयी.इस वर्ग में एक दर्जन के क़रीब हिन्दू की उपजाति को रखा गया है.कलाल/इराक़ी मुस्लिम जाति है.गणना में तमाम मुस्लिम जातियों को अलग से दर्शाया गया है लेकिन एक बड़ी आबादी कलाल/इराक़ी की संख्या नहीं बतायी गयी.इस मुद्दा को सबसे पहले AIMIM के विधायक अख़्तरुल ईमान ने बजाबता प्रेस कॉन्फ़्रेन्स कर उठाया.उन्होंने बताया कि कलाल/इराक़ी बिरादरी की आबादी 10 से 15 लाख के क़रीब है.फिर उपेन्द्र कुशवाहा की पार्टी ने भी कलाल/इराक़ी जाति की गिनती हिन्दुओं की उपजाति में किये जाने पर आपत्ति जतायी.बाद में फ़ज़ल इमाम मलिक,तौसीफ उर रहमान खान,ख़ालिद अमीन सैफ़,सैयद मसीह उद्दीन का भी समर्थन मिला.मसीह उद्दीन इस मामला को इमारत ए शरिया ले गये.अब संजय पासवान ने विधान सभा सत्र शुरू होने से पहले तारांकित प्रश्न डाल कर मामला को गरमा दिया है.
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