Seraj Anwar/Patna

नीतीश कुमार 17 साल भारतीय जनता पार्टी के साथ रहे हैं.सोच सकते हैं कितना गहरा रिश्ता रहा होगा.यही वजह है कि गठबंधन धर्म तोड़ते हुए कभी कभी वाजपेयी जी की पुण्यतिथि में शामिल होने चले जाते हैं और कभी पंडित दीनदयाल उपाध्याय जयंती कार्यक्रम में चले जाते हैं.अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि देना बात समझ में आती है,उनके कैबिनेट में मंत्री रहे.वाजपेयी जी उदारवादी थे.लेकिन पंडित दीनदयाल उपाध्याय जो आरएसएस के विचारक रहे,उनके प्रति आस्था व्यक्त करना समझ से परे है और फिर कहते हैं हमारी लड़ाई उनसे है जो देश बदलना चाहते हैं.कौन देश बदलना चाहता है?किस विचारधारा की सरकार है?पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचारधारा की ही सरकार है केन्द्र में.बहरहाल,आज नीतीश कुमार ने जो बयान दिया और ऐसे वक़्त में दिया उसका सीधा राजनीतिक लाभ बीजेपी को पहुंचने वाला है.

अभी पांच राज्यों का चुनाव महत्वपूर्ण है

जैसा कि मालूम है पांच राज्यों में इसी महीने विधानसभा चुनाव होने वाले हैं.किसी भी राजनीतिक दल के लिए चुनाव महत्वपूर्ण होता है.पराजय की पीड़ा पांच साल तक झेलनी पड़ती है.ख़ुद नीतीश कुमार की पार्टी जदयू मध्य प्रदेश के चुनाव में कूदी हुई है. मध्य प्रदेश,राजस्थान,छत्तीसगढ़,तेलंगाना और मेज़ोरम का विधानसभा चुनाव लोकसभा चुनाव से पहले सेमीफ़ाइनल है.कांग्रेस सेमीफ़ाइनल जीत कर फ़ाइनल में मज़बूती से उतरना चाहती है.मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक़ पांचों राज्यों में कांग्रेस फ़्रंटफ़ुट पर है.मध्य प्रदेश और तेलंगाना में भी सरकार बनती दिख रही है.राहुल गांधी,खड़गे और पूरी कांग्रेस पार्टी भाजपा को सत्ताच्युत करने में ज़ोर लगाये हुए हैं.ऐसे वक़्त में इंडिया गठबंधन को देखने की फुर्सत कहां है.यदि पांचों राज्यों में भाजपा हार गयी तो आधा परास्त तो ऐसे ही हो जायेगी.

क्या है नीतीश के बयान के मायने?

पटना में आयोजित सीपीआई की रैली में इंडिया गठबंधन की प्रमुख पार्टी जनता दल यूनाइटेड के नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कांग्रेस पर जिस गम्भीरता से आरोप लगाया है और गठबंधन के बारे में जो बातें कही हैं उससे भाजपा को बैठे-बैठाये विपक्ष पर हमला बोलने का मुद्दा मिल गया है.विधानसभा चुनावों में अभी तक पिछड़ रही भारतीय जनता पार्टी को आक्रामक होने का नीतीश ने हथियार थमा दिया है.पहले से इंडिया गठबंधन का मज़ाक़ बना रही भाजपा अब और भी हंसी उड़ाएगी.गठबंधन के अगुआ नेता नीतीश कुमार के हवाले से नरेन्द्र मोदी की पार्टी कांग्रेस पर ख़ूब हमला बोलेगी.भाजपा गठबंधन में नहीं रहते हुए भी नीतीश भाजपा को ऐसे मुद्दा थमा रहे,फ़ायदा पहुंचा रहे.जब नीतीश ही कह रहे इंडिया गठबंधन की कांग्रेस को चिंता नहीं है.कांग्रेस 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव में ही व्यस्त है.कांग्रेस के कारण ही इंडिया गठबंधन का कामकाज प्रभावित हुआ है तो भाजपा क्यों नहीं हमलावर होगी?

इंडिया गठबंधन में नीतीश को नहीं मिल रहा महत्व

दरअसल, गठबंधन खड़ा करने में नीतीश ने जिस तरह से पहल की,उतना महत्व उन्हें नहीं मिला.पटना में नीतीश कुमार ने ही बिखरा विपक्ष के एक-एक नेताओं को जोड़ा.बैठक सफल रही.इसके बाद बेंगलूरू और मुम्बई में भी बैठक हुई.नीतीश कुमार को गठबंधन का संयोजक बनाने की चर्चा चली.लेकिन लालू प्रसाद ने कांग्रेस से मिल कर बैठकबाज़ी कर दी,अलग-अलग राज्यों से संयोजक बनाने का प्रस्ताव रख दिया.जदयू नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री उम्मीदवार के रूप में देखती है.जब संयोजक से भी हाथ धोना पड़ा तो नीतीश भाजपा से क़रीब होने का संदेश छोड़ते हैं.भाजपा में उनके लिए दरवाज़ा शायद बंद है वरना कबके राजद से गठबंधन तोड़ भाजपा में भाग गये होते.उनका दिल अभी भी भाजपा में बसता है

कांग्रेस को क्यों बनाया निशाना?

कांग्रेस को लालू प्रसाद ही चला रहे हैं.लालू जो बोलते हैं कांग्रेस वही सुनती है.राजद सुप्रीमो ने सदाक़त आश्रम में आयोजित श्रीकृष्ण सिंह की जयंती समारोह के मौक़े पर यह कह कर सबको चौंका दिया था कि अखिलेश सिंह(कांग्रेस अध्यक्ष)को हमने राज्यसभा सदस्य बनाया,रांची जेल से सीधे सोनिया गांधी को फोन लगा दिया.इस समारोह में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शामिल नहीं हुए थे.लालू की वजह से नीतीश कांग्रेस को निशाना बना रहे हैं.मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में जदयू ने गठबंधन को दरकिनार कर अपने उम्मीदवार उतार दिये हैं.इससे फ़ायदा भाजपा को हो रहा है.नीतीश कांग्रेस पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं.साथ ही,अपनी हैसियत जता रहे हैं.लाल झंडा के मंच से कांग्रेस पर नीतीश का तीखा वार लालू को भी अंदर तक लहूलुहान कर गया होगा.जदयू की तीर से भाकपा महफ़ूज़ है.ख़ूब दोस्ताना निभा रहे नीतीश!

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One thought on “भाजपा में बसता है नीतीश का दिल,कैसे पहुंचा रहे फ़ायदा”

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