कमला कान्त पाण्डेय

बिहार में दो चीजें काफी फेमस हुआ करती थी. पहला आलू और दूसरा लालू. आलू इसलिए क्योंकि गरीबी की मार झेल रहा पूरा बिहार अपना आधा पेट आलू से भर लिया करता था. वहीं लालू इसलिए क्योंकि उनके आगे सब फेल हो जाते थे. लालू यादव की यही खासियत थी कि गलती करने के बाद भी वो गलती नहीं मानते थे. साथ ही अपनी गलती को लोगों के सामने ऐसे पेश करते मानों वो गलती नहीं उनका अधिकार हो. लालू के जीवन से जुड़े कई किस्से हैं. जिसमें से एक सड़क से सत्ता तक पहुंचने का है.

लालू यादव के सबसे बड़े भाई मंगरु राय बताते हैं कि बिहार में जाती का काफी प्रभाव होता था. उनके गांव फुलवरिया का 80 प्रतिशत जमीन पर सवर्णों का अधिकार था. जो उस समय कुल आबादी के लगभग 10 प्रतिशत थे. कास्ट सिस्टम इतना हावी था कि सवर्णों और निम्न वर्ग के लोगों के बच्चों को एक साथ स्कूल जाने की भी इज़ाजत नही थी. सवर्णों को बाबू साहब कहा जाता था. उनके गुजरने पर कोई छोटे तबके का आदमी बैठा नहीं रह सकता था. उसे उठकर सलाम करना पड़ता था.

लालू के जन्मदिन पर एजाज़ अहमद,उदय नारायण चौधरी,जगदानंद सिंह

उन्हीं दिनों में एक दिन लालू अपने गांव के घर के आंगन में एक छोटे ईंट के टुकड़े से अपनी स्लेट पर कुछ चित्रकारी कर रहे थे. तभी वहां से कुछ जमींदार गुजरे और कहा कि “ओहो कलयुग आ गईल. अब ई ग्वार के बच्चा भी पढ़ाई-लिखाई करी.” साथ ही उन्होंने हमारे चाचा यदुनंदन राय से पूछा कि “बैरिस्टर बनाबे के बा का?” इस पूरे घटना के बाद चाचा काफी गुस्सा गए और फिर अपने भतीजे लालू यादव को अगले दिन ही पटना लेकर चले गए.

यदुनंदन राय पटना पशु चिकित्सा महाविद्यालय में ग्वाले का काम करते थे. जहां पर उन्हें वेतन के अलावा रहने के लिए भी जगह दी गई थी. इस जगह पर पहले से ही लालू यादव के चाचा के साथ भाई भी रहते थे. दोनों पढ़े-लिखे नहीं थे. जिसकी वजह से वो ग्वाले का काम करते थे. धीरे-धीरे उन्होंने पटना को अपना घर बनाया. बाद में लालू यादव ने बी एन कॉलेज में एडमिशन ले ली. जहां से उनका राजनीति का सफर शुरु हो गया.

शुरुआती दौर में सोशलिस्ट नेता श्रीकृष्ण सिंह के बेटे नरेंद्र सिंह के साथ काम किया. बाद में अपने अनोखे अंदाज और कला से अपनी खुद की सरकार बना ली. लालू यादव को नाटक करने के लिए काफी माहिर माना जाता था. कहा जाता था कि वो एक खाली मैदान में अकेले हजारों की भीड़ जुटा सकते हैं. उन्हें किसी भी बात का कोई भय नही होता था. लालू यादव अब उन नेताओं में शामिल हैं जिन्हें पूरे भारत के लोग बखुबी जानते हैं.

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