सवाल कई हैं.उर्दू का सवाल.उर्दू यूनिट पर ग़ैर हिन्दी शिक्षकों की बहाली का सवाल.उर्दू के विकास से जुड़ा उर्दू अकादमी के डिफ़ंक्ट रहने का सवाल.इस्लामी शिक्षा से जुड़े मदरसा एडूकेशन बोर्ड के भंग रहने का सवाल.मुसलमानों को क़ानूनी रूप से हक़ दिलाने वाला अल्पसंख्यक आयोग का धूल फ़ांकने का सवाल और सबसे अहम महागठबंधन की सरकार और संगठन में मेजर पार्टनर मुसलमानों की जायज़ हिस्सेदारी का सवाल.
सेराज अनवर
PATNA:आज संध्या चार बजे मुख्यमंत्री आवास 1-अणे मार्ग में मुसलमानों का मजमा लगेगा.उनके समक्ष रूबरू होंगे बिहार के वज़ीर ए आला नीतीश कुमार.लम्बे अर्से के बाद नए साल में पहली बार मुख्यमंत्री से मुसलमानों को अपनी समस्या,अपना दुखड़ा,अपनी बात रखने का मौक़ा मिल रहा है.सवाल कई हैं.उर्दू का सवाल.उर्दू यूनिट पर ग़ैर हिन्दी शिक्षकों की बहाली का सवाल.उर्दू के विकास से जुड़ा उर्दू अकादमी के डिफ़ंक्ट रहने का सवाल.इस्लामी शिक्षा से जुड़े मदरसा एडूकेशन बोर्ड के भंग रहने का सवाल.मुसलमानों को क़ानूनी रूप से हक़ दिलाने वाला अल्पसंख्यक आयोग का धूल फ़ांकने का सवाल और सबसे अहम महागठबंधन की सरकार और संगठन में मेजर पार्टनर मुसलमानों की जायज़ हिस्सेदारी का सवाल.लेकिन,महत्वपूर्ण बात यह है कि मुख्यमंत्री के सामने इन सवालों को रखने की जुर्रत कौन करेगा.आम मुसलमानों को बुलाया नहीं गया है.जदयू के मुस्लिम नेताओं और कार्यकर्ताओं की जुटान अधिक रहेगी.कुछ इदारों के सरबराह भी मौजूद रह सकते हैं.उनमें अधिक्तर वे लोग होंगे जो जो मुख्यमंत्री के कृपापात्र हैं.रही बात जदयू के मुसलमानों का तो क़सीदागोई उनकी मशहूर है.क़सीदागो किसी शख़्सियत की तारीफ़ का पुल बांधने वाले को कहते हैं.
सत्ता,शासन और संगठन में कहां है मुसलमान?
सत्ता और संगठन के टॉप 10 पोस्ट पर एक भी मुसलमान नहीं है.
विधानसभा स्पीकर-अवध बिहारी चौधरी(यादव)
विधान परिषद सभापति-देवेश चंद्र ठाकुर(ब्राह्मण)
कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता-अजीत शर्मा(भूमिहार
राजद प्रदेश अध्यक्ष-जगदानंद सिंह(राजपूत)
जदयू प्रदेश अध्यक्ष-उमेश सिंह कुशवाहा(कोईरी)
जदयू का राष्ट्रीय अध्यक्ष-ललन सिंह(भूमिहार)
जदयू संसदीय दल के अध्यक्ष-उपेन्द्र कुशवाहा(कुशवाहा) कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष-अखिलेश सिंह(भूमिहार)
माले का राज्य सचिव-कुणाल(भूमिहार)
सीपीआई का राज्य सचिव-राम नरेश पाण्डेय(भूमिहार)
इसके अलावा बिहार के 139 अनुमंडल में मात्र तीन एसडीओ मुसलमान है.जबकि डीएम के पद पर एक मुसलमान और डीडीसी के पद पर एक भी मुस्लिम नहीं है.ऐसी चर्चा है.
महागठबंधन को मुसलमानों का क़ब्रगाह बताते हैं अशफ़ाक़ रहमान
मुसलमानों ने हमेशा सेक्युलर पार्टियों को वोट दिया है. अब गठबंधन का दौर है. आज जब छोटी-छोटी बिरादरी की महागठबंधन में हिस्सेदारी है, जबकि इनकी क़ौम साम्प्रदायिक कही जाने वाली पार्टियों को वोट देते हैं. यदि ऐसा नहीं है तो महागठबंधन हार कैसे रहा है? वहीं अठारह फ़ीसद मुस्लिम मतदाता की कुल आबादी बीस प्रतिशत रहने के बावजूद उनकी उचित भागीदारी धर्मनिरपेक्ष दलों में नहीं है.
जनता दल राष्ट्रवादी के राष्ट्रीय संयोजक अशफाक़ रहमान का मानना है कि महागठबंधन मुसलमानों के लिए क़ब्रगाह है. हर तरफ़ से मुस्लिम सियासत का दरवाज़ा बंद कर दिया गया है. कांग्रेस हो या महागठबंधन, मुस्लिममुक्त मार्ग पर चल रहा है. कभी इन्हीं पार्टियों ने संघमुक्त भारत का राग अलापा था. संघमुक्त तो नहीं बना सके, ख़ुद संघयुक्त ज़रूर हो गये हैं. मुसलमानों को सत्ता, शासन, संगठन से मुसलमानों को अलग-थलग रखकर धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र की कौन सी लड़ाई लड़ी जा सकती है?ये लोग मुसलमानों को बंधुआ मज़दूर समझते हैं.अशफ़ाक़ रहमान कहते हैं कि पता नहीं, मुसलमान इस बात को क़ब समझ पायेगा.भारतीय मुसलमानों ने हमेशा सेक्युलर पार्टियों को वोट दिया है. अब गठबंधन का दौर है. आज जब छोटी-छोटी बिरादरी की महागठबंधन में हिस्सेदारी है, जबकि इनकी क़ौम साम्प्रदायिक कही जाने वाली पार्टियों को वोट देते हैं. यदि ऐसा नहीं है तो महागठबंधन हार कैसे रहा है? वहीं अठारह फ़ीसद मुस्लिम मतदाता की कुल आबादी बीस प्रतिशत रहने के बावजूद उनकी उचित भागीदारी धर्मनिरपेक्ष दलों में नहीं है.अशफ़ाक़ रहमान कहते हैं कि सच बात तो यह है कि सत्तर-पचहत्तर साल से मुसलमानों ने कथित धर्मनिरपेक्ष दलों पर मुकम्मल भरोसा किया, लेकिन इन पार्टियों ने मुसलमानों के साथ न्याय नहीं किया. अब धर्मनिरपेक्ष दलों से शर्त के साथ गठबंधन करने से ही मुसलमानों की राजनीति का विकास मुमकिन है. इसलिए मुसलमानों को अपनी सियासत और अपनी कयादत को उभारना होगा, तब जाकर गठबंधन के लिए कोई भी पार्टी मजबूर होगी और इससे मुसलमानों की वोट की ताक़त का पता चलेगा.
मुसलमानों को साधने का प्रयास
5 जनवरी से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समाज सुधार यात्रा पर निकलने वाले है.समाज सुधार में शराबबंदी मुख्य मुद्दा होगा.शराबबंदी पर नीतीश को मुसलमानों का पूर्ण समर्थन है.इस समर्थन को ओवैसी विरोध के रूप में विस्तार देना चाहते है.ओवैसी की पार्टी के सीमांचाल से बाहर निकल कर अब बिहार के अन्य ज़िलों में दख़ल देने से महागठबंधन चिंतित है.चिंता इस बात की है कि मुसलमानों में यदि एआइएमआइएम ने पांव पसार लिया तो महागठबंधन के लिए मुश्किल हो सकती है.इसलिए ओवैसी से मुसलमानों को सचेत रखने की तरकीब ढूँढी जा रही है.अन्यथा,मुसलमानों का कई प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री से मिलने का वक़्त मांगा,आरोप है कि नीतीश कुमार ने मिलना पसंद नहीं किया.मुसलमानों की बैठक बुलाना तो दूर.महागठबंधन ओवैसी पर भाजपा को लाभ पहुंचाने का आरोप भले लगाता हो मगर महागठबंधन भी इस आरोप से अछूता नहीं है.पटना नगर निगम से मेयर पद की उम्मीदवार (महजबीं)अफज़ल इमाम को हराने में कोई कसर नहीं छोड़ा गया.यह जानते हुए कि मुसलमानों का वोट निर्णायक है.अफज़ल ने अपने बूते 75 हज़ार वोट ला कर दिखा भी दिया कि यदि महागठबंधन का सपोर्ट मिल जाता तो राजधानी पटना से भाजपा की मेयर नहीं होती.जदयू ने बिट्टू सिंह को समर्थन दिया.पार्टी के कुछ मुस्लिम नेता भी बिट्टु सिंह के साथ पार्टी दफ़्तर में बैठे देखे गये थे.राजद जातिवादि राजनीति के तहत पप्पू राय के साथ गया.अफज़ल को यादवों ने वोट नहीं दिया.एक तरह से महागठबंधन ने मुसलमान(अफज़ल इमाम)की मद्द नहीं कर भाजपा को लाभ पहुँचाया,फिर किस मुंह से ओवैसी को इल्ज़ाम धरते हैं.क्या आज की मीटिंग में कोई मुसलमान मुख्यमंत्री से इन सवालों को पूछने की हिम्मत जुटा पायेगा?
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