हाल के दिनों में महागठबंधन से मुसलमानों का बिखराव देखा जा रहा है.जिसके नतीजे में गोपालगंज,कुढ़नी में हुए विधानसभा उपचुनाव में महागठबंधन उम्मीदवार की हार है.इससे महागठबंधन में बेचैनी है.बिहार में ओवैसी के बढ़ते क़दम को रोकना भी बैठक का एक एजेंडा है.
सेराज अनवर
PATNA:नया साल के आग़ाज़ पर बिहार के मुसलमान और नीतीश कुमार कल आमने-सामने होंगे.सोमवार को चार बजे से मुख्यमंत्री आवास में मुस्लिम राजनीति पर मंथन चलेगा.यह बैठक ख़ुद नीतीश कुमार ने बुलाई है.बैठक में जदयू के मुस्लिम कार्यकर्ता सहित बुद्धिजीवी और खानक़ाही लोगों को भी बुलाया गया है.बैठक में डेढ़ सौ से दो सौ लोग शामिल हो सकते हैं.
ओवैसी के बढ़ते क़दम पर हो सकती है चर्चा!
बैठक का एजेंडा ओपन नहीं है लेकिन बताया जा रहा है कि 2024 की तैयारी है.लड़ाई चूंकी बड़ी है सो मुसलमानों को पहले महागठबंधन से जोड़ कर रखना पहली प्राथमिकता है.हाल के दिनों में महागठबंधन से मुसलमानों का बिखराव देखा जा रहा है.जिसके नतीजे में गोपालगंज,कुढ़नी में हुए विधानसभा उपचुनाव में महागठबंधन उम्मीदवार की हार है.इससे महागठबंधन में बेचैनी है.बिहार में ओवैसी के बढ़ते क़दम को रोकना भी बैठक का एक एजेंडा है.
ओवैसी से नीतीश भी हैं खौफ़ज़दा
कुढ़नी में जदयू प्रत्याशी मनोज कुशवाहा के पराजय के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने चैम्बर में विधायकों से कहा था कि अल्पसंख्यक समाज के लोगों को ओवैसी की रणनीति के बारे में बताइये नहीं तो आगे बहुत दिक़्क़त होगी.नीतीश ने ओवैसी को निशाना बनाते हुए यह भी कहा था कि इनसे भाजपा ही बयान दिलवाती है ताकि मुस्लिम वोट कट सके.मालूम हो कि एआइएमआइएम महागठबंधन को निरंतर नुक़सान पहुंचा रहा है.सीमांचाल में परचम लहराने के बाद गोपालगंज और कुढ़नी में भी भारी चोट पहुंचाया.जितना वोट राजद और जदयू उम्मीदवारों को मिला उससे कम अंतर से महागठबंधन प्रत्याशियों की हार हुई.
मुख्यमंत्री का पढ़ा जायेगा क़सीदा
बैठक में मुसलमानों से मशविरा मांगा जायेगा.साथ ही नीतीश कुमार अल्पसंख्यक समाज में किये गये विकास कार्यों का बखान करेंगे.बतायेंगे कि हमने मुसलमानों के लिए क्या किया,किन हालात में किया.हालांकि,बैठक में अधिकतर पार्टी कार्यकर्ता होंगे इसलिए मुख्यमंत्री का क़सीदा पढ़ने से ज़्यादा सलाह देने की जुर्रत कौन करेगा?पहले भी इस तरह की बैठक हो चुकी है लेकिन कोई ठोस नतीजा नहीं निकल सका था.क्या कोई मुख्यमंत्री से यह सवाल पूछने की हिम्मत जुटा पायेगा कि मदरसा बोर्ड,अल्पसंख्यक आयोग,उर्दू अकादमी आदि मुस्लिम संस्थान का गठन अब तक क्यों नहीं हुआ?सेक्युलरिज़्म की लड़ाई में ओवैसी को महागठबंधन में शामिल क्यों नहीं क्या जा सकता है?देखना शेष है कि बैठक में मुसलमानों के विकास के सिलसिले में क्या फैसला लिया जा सकता है.
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