सेराज अनवर
PATNA:लोक जनशक्ति पार्टी अब एक होगी.पशुपति पारस की मजबूरी है.सूरजभान के सुर बदल रहे हैं.चिराग़ अब फिर से रौशन होने वाला है.मोदी-शाह से शक्ति मिल चुकी है.मंत्री भी बनेंगे और अपनी शर्तों पर.इधर से कोई हड़बड़ी नहीं है.भाजपा को अधिक जल्दबाज़ी है.बाग़ी सिर झुका कर चिराग़ के दर वापसी को रज़ामंद हैं.लोकसभा चुनाव सिर पर है.घुटना टेकना राजनीतिक विवशता है.चिराग़ कुछ लोगों से समझौता के बिल्कुल मूड में नहीं हैं.
मालूम हो कि पिछले साल चाचा पशुपति कुमार पारस ने चार सांसदों को अपने पक्ष में कर पार्टी तोड़ दी थी.लोजपा के कुल छह सांसद थे.पशुपति कुमार पारस, चौधरी महबूब अली कैसर, वीणा सिंह, चंदन सिंह और प्रिंसराज ने चिराग से बग़ावत कर दी थी.चिराग़ अकेले पड़ गये थे.अब बाज़ी पलट गयी है.नीतीश कुमार के एनडीए गठबंधन से अलग होने के बाद भाजपा में चिराग़ का वज़न अचानक बढ़ गया है.केन्द्रीय मंत्रीमंडल में जल्द शामिल होने की चर्चा चल रही है.मगर चिराग़ को अभी बहुत जल्दबाज़ी नहीं है.वह पहले अपनी शर्तों को मनवाते जा रहे हैं.
अमित शाह ने बिहार उपचुनाव में समर्थन के लिए कहा तो चिराग़ ने शर्त रख दी चाचा पशुपति पारस को फिर चुनाव प्रचार से दूर रखना होगा.उनकी बात मान ली गयी.चिराग़ मोकामा और गोपालगंज दोनों जगह गये.पारस केन्द्रीय मंत्री रहते हुए चुनाव प्रचार से दूर रहे.चर्चा है कि पारस पर चिराग़ से हाथ मिलाने का दबाव’उपरी’ है.पारस की पास अब कोई रास्ता नहीं बच गया है.मंत्रिमंडल से उनका ड्रॉप होना तय है.एक चर्चा यह भी है कि पारस को सिक्किम का राज्यपाल बनाया जा सकता है.अभी सिक्किम के राज्यपाल बिहार के गंगा प्रसाद हैं.उनका कार्यकाल ख़त्म होने को है.
चिराग़ गुट के एक पूर्व सांसद का कहना है कि ऐसा नहीं होने जा रहा.पारस शंट कर दिए जायेंगे.ज़ाहिर सी बात है जब पारस का ही राजनीतिक वजूद ख़तरे में है तो उनके समर्थक सांसदों का सांस फुलना लाज़मी है.अब वे लोग फिर से नया ठौर ढूँढ रहे हैं.लोजपा को तोड़ने में सबसे मुखर रोल निभाने वाले पूर्व सांसद सूरजभान सिंह का राग बदल गया है.कारण है कि भूमिहार बहुल मोकामा के चुनाव में सूरजभान को अहमियत न देकर अमित शाह ने वहां चिराग़ पासवान को भेजा.जबकि सूरजभान का स्थानीय दबदबा रहा है.सूरजभान सिंह ने भाजपा के इस संदेश को तुरंत पढ़ लिया और बयान दे डाला कि देश में अभी चिराग़ पासवान से बड़ा कोई दलित नेता नहीं है.
इस पर भी चिराग़ पासवान पिघलने को तैयार नहीं हैं.किसी भी सूरत में बाग़ियों को नहीं बख्शेंगे.ऐसा कहा जा रहा है.थोड़ा सा खगड़िया के सांसद महबूब अली क़ैसर को लेकर सॉफ़्ट कोर्नर है.लेकिन,महबूब के राजद में जाने की चर्चा चल रही है.उनके सुपुत्र यूसुफ़ सलाउद्दीन सिमरी बख्तियारपुर से राजद के विधायक हैं.सूरजभान सिंह इस बार अपने भाई चंदन सिंह या पत्नी वीणा सिंह को मुंगेर से लोकसभा चुनाव लड़ाना चाहते हैं.वीणा मुंगेर से सांसद रह चुकी हैं.भाई चंदन अभी नवादा से सांसद हैं.नवादा से चिराग़ के बेहद क़रीबी पूर्व सांसद अरूण कुमार का लड़ना तय है.पारस गुट को फ़िलहाल रास्ता नहीं सुझ रहा है.राजनीति का पहिया इसी तरह बदलता है.
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