यह देश की जनता के हित में है.मानसिक रूप से जनता आदरणीय प्रधानमंत्री हर आदेश को मानने केलिए रज़ामंद है.इसलिए,इसका विरोध नहीं स्वागत होनी चाहिये.
मंथन डेस्क
PATNA:2000 का नोट चलन से बाहर होने पर जहां विपक्षी पार्टियां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को निशाना बना रही हैं,वहीं जनता दल राष्ट्रवादी ने केन्द्र सरकार के इस निर्णय का स्वागत किया है.पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अशफाक़ रहमान को सिर्फ अफसोस इस बात का है कि इतने बड़े कार्यक्रम की घोषणा स्वंय प्रधानमंत्री ने क्यों नहीं किया.नोटबंदी कोई छोटा-मोटा क़दम है?हालांकि,यह नोटबंदी नहीं,नोट बदली है.
अशफाक़ रहमान ने कहा है कि हमारी पार्टी जनता दल राष्ट्रवादी केन्द्र सरकार के इस फैसले का स्वागत करती है.यह देश की जनता के हित में है.मानसिक रूप से जनता आदरणीय प्रधानमंत्री हर आदेश को मानने केलिए रज़ामंद है.इसलिए,इसका विरोध नहीं स्वागत होनी चाहिये.केन्द्र सरकार ने एक बार फिर नोटबंदी कर सराहनीय कार्य किया है.
दीगर बात है कि बार-बार नोटबंदी से विश्व बाज़ार में मुद्रा की विश्वनियता घटती है.लेकिन,ऐन लोकसभा चुनाव से ठीक पहले 2000 का नोट सर्कुलेशन से बाहर हो जाने से विपक्ष को भले चोट पहुंचती हो लेकिन भारतीय जनता पार्टी केलिए यह उसी तरह फ़ायदे का सौदा है,जब पहली नोटबंदी की मार उत्तर प्रदेश चुनाव में विपक्ष नहीं झेल पायी थी और सत्ता में आने का सपना उसका टूट गया था.
बार-बार नोटबंदी से विश्व में भारतीय मुद्रा की विश्वसनीयता पूर्णतः ख़त्म हो जायेगी.जिस देश की मुद्रा विश्वसनीयता खो देता है,उस देश की प्रतिष्ठा भी गिर जाती है.भाजपा के नेता केन्द्र में सत्तासीन होने से पहले यह बात कहा करते थे ‘रुपया गिरता है तो देश की प्रतिष्ठा गिरती है’
नोट जमा करने का समय निर्धारण ही पूरी कहानी कह रही है.एक दिन में मात्र दस नोट मतलब बीस हज़ार ही बदले जायेंगे,देश की आर्थिक स्तिथि तो पहले से चरमरायी हुई है ही उसका और भट्टा बैठ जाना तय है.नोटबंदी से,अर्थ व्यवस्था को नियंत्रित रखने से देश विकास करता है.किसी भी देश में नोटबंदी नहीं होती है जबकि छह-सात वर्षों में भारत में दो बार नोटबंदी की गयी है.ताज्जुब है कि प्रधानमंत्री ने आठ बजे रात में टीवी पर आ कर इस कार्यक्रम की घोषणा क्यों नहीं की.मुझे उनके द्वारा 2000 नोट को चलन से हटाने का एलान नहीं किये जाने से तकलीफ़ पहुंची है.
अशफ़ाक़ रहमान कहते हैं कि अमेरिका या इंग्लैंड में बड़े नोट का चलन नहीं है.अमेरिका में 100 डालर से उपर का नोट नहीं चलता और इंग्लैंड में पचास पौंड तक.विकासशील देश अपनी करेंसी कभी चेंज नहीं करते बल्कि मुद्रा स्फीति को हमेशा नियंत्रित रखते हैं.करेंसी चेंज करने से विश्व बाज़ार में भारतीय मुद्रा की साख गिरती है.भारतीय नोट अधिक्तर साउदी और नेपाल के लोग रखते थे.पिछली नोटबंदी के बाद साउदी ने भारतीय नोट लेने से हाय-तौबा कर लिया.नेपाल के लोग अभी भी थोड़ा बहुत भारत का नोट रखते हैं.लेकिन,बार-बार नोटबंदी से विश्व में भारतीय मुद्रा की विश्वसनीयता पूर्णतः ख़त्म हो जायेगी.जिस देश की मुद्रा विश्वसनीयता खो देता है,उस देश की प्रतिष्ठा भी गिर जाती है.भाजपा के नेता केन्द्र में सत्तासीन होने से पहले यह बात कहा करते थे ‘रुपया गिरता है तो देश की प्रतिष्ठा गिरती है’