मेजर इक़बाल हैदर खान को उस पंचायत की कमान सौंपी गयी है,जहां से ओवैसी की पार्टी एआइएमआइएम के प्रत्याशी गुलाम मुर्तजा अंसारी आते हैं.मेजर रणनीति बनाने में माहिर माने जाते हैं.यदि ग़ुलाम मुर्तज़ा अंसारी को उसके ही गढ़ में पटखनी दे दी तो कुढ़नी में गोपालगंज से अलग नतीजा होगा.इसी लिए अमरख में पार्टी के अन्य सिपाहियों को छोड़ ‘मेजर’को तैनात किया गया है.
मंथन डेस्क
PATNA:मुज़फ़्फ़रपुर ज़िले के कुढ़नी विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव अब परवान चढ़ने लगा है.गोपालगंज में मात खाने के बाद महागठबंधन कुढ़नी में किसी तरह का रिस्क लेना नहीं चाहता है.गोपालगंज में राजद ने चुनाव प्रचार में जहां मुस्लिम नेताओं-कार्यकर्ताओं को नज़रअंदाज़ कर दिया था,वहीं जदयू कुढ़नी में राजद की गलती नहीं दोहराना चाहता.प्रखंड स्तर पर जदयू ने स्टार प्रचारकों की पूरी टीम उतार दी है.जिसमें बड़े पैमाने पर मुस्लिम नेताओं को भी उतारा गया है.
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि मेजर इक़बाल हैदर खान को उस पंचायत की कमान सौंपी गयी है,जहां से ओवैसी की पार्टी एआइएमआइएम के प्रत्याशी गुलाम मुर्तजा अंसारी आते हैं.मुर्तज़ा अंसारी अमरख पंचायत के निवासी हैं.मेजर इक़बाल को अमरख का प्रभारी बनाया गया है और सह प्रभारी के बतौर नरेन्द्र पटेल को रखा गया है.जदयू के प्रदेश महासचिव मेजर इक़बाल को पार्टी ने मुसलमानों को महागठबंधन की तरफ़ मोड़ने को बड़ी ज़िम्मेवारी सौंपी है.नरेन्द्र पटेल प्रदेश सचिव के पद पर हैं.
हाल के वर्षों में मेजर इक़बाल की मुसलमानों में मक़बूलियत बढ़ी है.पार्टी के अंदर उनकी पकड़ मज़बूत हुई है.प्रदेश नेतृत्व उसके कार्यों का आकलन बड़ी संजीदगी से कर रहा है.तभी उन्हें एमआइएम को चित करने के लिए मेजर इक़बाल का चुनाव किया गया है.अमरख पंचायत की ज़िम्मेवारी लेने केलिए कई भूतपूर्व और मौजूदा मुस्लिम माननीय ललायित थे मगर कहते हैं कि पार्टी ने मेजर इक़बाल पर ही भरोसा किया.मेजर इक़बाल सीतामढ़ी के सांगठनिक प्रभारी भी हैं.सदस्यता अभियान में उन्होंने ज़िले के एक-एक गांव को धांग दिया.
सदस्यता अभियान से लेकर पार्टी के कार्यक्रमों में इन्होंने अपनी योग्यता सिद्ध की है.जिसके नतीजे उन्हें एमआइएम प्रत्याशी के गढ़ में भेजा गया है.यही काम गोपालगंज में राजद ने नहीं किया था.किसी मुसलमान को चुनाव प्रचार में तरजीह नहीं दी.परिणाम यह हुआ कि एमआइएम प्रत्याशी अब्दुलसलाम ने बारह हज़ार से अधिक मुस्लिम वोट काट कर महागठबंधन को घुटना टेकने पर मज़बूर कर दिया.लेकिन ओवैसी के लिए कुढ़नी की डगर मुश्किल है.मेजर रणनीति बनाने में माहिर माने जाते हैं.यदि ग़ुलाम मुर्तज़ा अंसारी को उसके ही गढ़ में पटखनी दे दी तो कुढ़नी में गोपालगंज से अलग नतीजा होगा.इसी लिए अमरख में पार्टी के अन्य सिपाहियों को छोड़ ‘मेजर’को तैनात किया गया है.