सेराज अनवर
प्रश्न:चुनावी एजेंडा क्या है आपका?
उत्तर:मेरा एजेंडा विकास है और उसमें प्राथमिकता डालमिया नगर रेल कारख़ाना को खोलवाना है.पहले कार्यकाल में मैंने इसकी कोशिश भी की थी और बहुत हद तक इसमें सफलता भी मिली थी.मोमेंटम बना था.रिवैल्युएशन हुआ.जो कबाड़ था पड़ा हुआ उसका ऑक्सन हुआ.खुलने की दिशा में सब पटरी पर आ गया था.लेकिन,2019 में हम चुनाव हार गये और पटरी पर आयी हुई चीज़ धरी की धरी रह गयी.डालमिया नगर रेल कारखाना मेरे एजेंडे में सबसे उपर है.दूसरी बात यह इलाक़ा धान की खेती का हब है.चावल उत्पादन बड़ी मात्रा में होता है.इसको देखते हुए पोज़ीशन प्लांट लगाने की योजना है.औरंगाबाद ज़िले के कई क्षेत्रों ख़ास कर एनटीपीसी के इलाक़ा में जल स्तर काफी नीचे चला गया है यह कुछ समस्यायें हैं.अपने पहले कार्यकाल में यहां केन्द्रीय विद्यालय खोलवाया.शिक्षा के क्षेत्र में काफी काम किये.इग्नू का क्षेत्रीय कार्यालय खोलने की भी मंज़ूरी मिल गयी थी लेकिन ज़मीन नहीं मिली.इसलिए वह नहीं खुल सका.इसी तरह केन्द्रीय विद्यालय का एक मामला लटका हुआ है और भी काम है.मगर मुख्य रूप से यही दो-तीन है जो एजेंडे में प्रमुख है.
प्रश्न:किसके चेहरे पर आप चुनाव लड़ रहे हैं?मोदी,नीतीश या ख़ुद का चेहरा?
उत्तर:देश का चुनाव हो रहा है तो माननीय नरेन्द्र मोदी का नाम तो है ही.उनके नाम,उनके काम पर होगा.साथ-साथ बिहार के मुख्यमंत्री माननीय नीतीश कुमार जी ने अपने कार्यकाल में बिहार को जिस विकास के रास्ते पर लगाया है उनके नाम और काम पर भी लोगों के बीच जा रहे हैं और साथ ही साथ मैंने जो यहां किया ज़ाहिर है मुझे भी लोगों ने देखा है.पांच साल क्या काम किया किन-किन इलाक़ों में किस तरह के काम किये.यह सिर्फ़ मेरा नाम नहीं बल्कि नरेन्द्र मोदी जी को चूंकी देश का फिर से अगला प्रधानमंत्री उन्हें बनाना है.उनका नाम और उनका काम और नीतीश कुमार जी ने बिहार को जंगलराज के उस दौर से बाहर निकाल कर पूरे राज्य में जिस तरह विकास कार्य किया है वह बोल रहा है,दिखाई देता है तो और कुछ हद तक मेरा.लेकिन प्रायोरिटी बेसिस पर नरेन्द्र मोदी का ही चेहरा है.
प्रश्न:बहुत हल्ला है चुनाव इस बार आपके लिए कठिन है?
उत्तर:कोई भी चुनाव आसान नहीं होता है.हर चुनाव कठिन होता है.लेकिन जनता जिसे चुनती है वही जीतता है.मुझे लगता है कि इस बार मेरे लिए बहुत ज़्यादा कठिन नहीं है.क्योंकि 2014 से 2019 के बीच सांसद बना था तब मैंने यहां जो विकास कार्य किये लोग उसे जानते हैं,समझते हैं और मुझे यक़ीन है अंतःमेरा काम यहां बोलेगा.लोगों को पता है जब मैं सांसद नहीं था तो भी यहां लोगों से मिलता-जुलता रहा.एक घर का रिश्ता है मेरा काराकाट की आवाम के साथ.इसलिए लगता नहीं मुझे बहुत ज़्यादा दिक़्क़त होगी.चुनाव कठिन होता है हम कठिन मान कर चल रहे हैं लेकिन लोगों का प्यार इसको आसान बना देगा.
प्रशन:पवन सिंह कितने बड़ी चुनौती हैं?
उत्तर:लोकतंत्र में सबको चुनाव लड़ने की इजाज़त दी है. सब चुनाव लड़ते हैं, तो कोई भी आये, कोई ऐसा बहुत नहीं है.लेकिन यह है कि मैं जिन मुद्दों पर चुनाव लड़ रहा हूं, लोग मुझे जानते हैं बेहतर तरीके से.और कोई चुनौती मेरे लिए वो इस तरह का नहीं है.पवन सिंह या जो भी लोग हों, पवन सिंह आये हैं.चुनाव के मैदान में.वो भी दो-दो हाथ कर रहे हैं. मैं भी हूं.लेकिन कोई ऐसी बहुत चुनौती है, वो वैसा नहीं है.चूंकि चुनाव दो गठबंधनों के बीच मुख्यतः है, लेकिन वो आये हैं चुनाव लड़ रहे हैं और चुनाव में बहुत सारे लोग होते हैं.सिर्फ पवन सिंह ही नहीं और भी कई निर्दलीय उम्मीदवार हैं.कई दूसरी पार्टी पार्टियों के उम्मीदवार हैं.तो सारे लोग उम्मीदवार हैं और सब लोग आवाम के पास जा रहे हैं.जनता मालिक होती है.मेरे लिए तो सब एक ही तरह से हैं.चाहे वो विपक्षी दल महागठबंधन के उम्मीदवार हो या दूसरे.
प्रश्न:कहते हैं कि पवन सिंह को प्रदेश भाजपा के ही कुछ नेता ने टाइट कर दिया है?
उत्तर:देखिये, भाजपा की जो बात कह रहे हैं, यह पूरी तरह बकवास है,इसमें किसी तरह की सच्चाई नहीं है.भाजपा का पूरा कुंबा मेरे साथ, यहां पूरी ताकत पूरी मुस्तैदी के साथ खड़ा हुआ है.चाहे वो राष्ट्रीय स्तर पर हो, प्रदेश के स्तर पर हो या जिला के स्तर पर हो, पूरा कुंबा मेरे साथ पूरी ताकत के साथ खड़ा है.वो मेरी जीत के लिए भाजपा का एक-एक कार्यकर्ता लगा हुआ है.इसलिए इन इस तरह की बातों में कोई सच्चाई नहीं है.बकवास व अफवाह है.
प्रश्न:गठबंधन में तीन सीट मिलने की बात कही जा रही थी,मात्र एक सीट मिलने पर ठगा महसूस कर रहे होंगे?
उत्तर:देखिये,आपके सवाल में ही आपका जवाब भी है.आपने कहा कि कहते हैं कि यह सुना गया है कि आपको 3 सीट मिल रहे थे. तो कहा और सुना जाने में तो सिर्फ बात ही होती है.सच्चाई तो होती नहीं.हमारे और भाजपा के नेताओं के बीच जो बातचीत हुई वो सामने है.और इसमें मैं किसी तरह का कोई ठगा हुआ महसूस नहीं कर रहा हूं. भाजपा से जो मेरी बात हुई, जो चीजें हुई, वो सब सामने है.वो सार्वजनिक है.तो जो सार्वजनिक होती है, वही सच होता है.बाकी कहा और सुना जाता है,सब तर्कहीन बातें हैं.
प्रश्न:मुस्लिम वोट पर कितना भरोसा है और उसकी वजह क्या होगी?
उत्तर:देखिये,बिहार में पिछले तीस-बत्तीस सालों से खास कर महागठबंधन ने मुसलमानों को जिस तरह से छला है और क्रूशियल टाइम पर जब-जब मौका मिला है छलने का काम किया है.और एक नया नैरेटिव जो माई का दिया है एमवाई.माननीय लालू यादव जी चालाक आदमी हैं उन्होंने अंग्रेजी का अˌब्रीव़िˈएश्न् एम और वाई निकाला माई मतलब मेरा होता है.मेरा और मेरा परिवार.पहले हम दो और हमारे दो थे, दो साला चला रहे थे, पत्नी थी और वो लालू जी थे.अब हम दो और हमारे कितने हो गए ये सबके सामने है.तो उसमें मुसलमान एम जो है भले खुश होले.माई में का एम मुसलमान है लेकिन दरअसल वो है नहीं.ये सिर्फ बहलाने और वो कोई शेर है ना! खिलौने दे कर बहलाया गया हूं तमन्नाओं में उलझाया गया हूं.बिहार के मुसलमानों के साथ लालू जी और महागठबंधन यही करता आ रहा है.वो हर 5 साल पर मुसलमानों को किसी अंधे तहखाने से वोट के लिए निकालता है.झाड़ पोंछ कर वोट के लिए तैयार करता है.झुनझुना थमाता है.वोट लेता और फिर से अंधे तहखाने में डाल देता है.इसीलिए जहां तक मेरा सवाल है, तो जब जब जो मुसलमानों का इशू हुआ, मैं मुखरता के साथ सामने आया.आपको पूरा मेरा इतिहास भी पता होगा कि सत्ता में रहते हुए मैंने कई बार उन बातों का जिक्र किया.उनकी लिंचिंग वगैरह को लेकर.मैंने जितनी मुखरता से मंत्री रहते हुए आवाज बुलंद की थी.मुझे लगता है कि बहुत कम लोगों ने ऐसी हिम्मत की होगी और भी बहुत सारे मसअले हैं.तो जो लोग सेकुलर चैंपियन कहलाते हैं, वो सिर्फ मुसलमानों का वोट हासिल करते हैं.भाजपा और दंगों का डर दिखा कर मुसलमानों का शोषण करते आ रहे हैं.इसलिए मुझे भरोसा है कि मुसलमानों का बड़ा तबका मेरे साथ काराकाट में वोट करेगा
और सिर्फ मुसलमान ही नहीं, मैं तो यह कह रहा
हर समाज के लोग.मैंने वंचित, शोषित, दलित, महादलित, पिछड़ो, अतिपिछड़ो सबकी आवाज और सवर्णों की भी आवाज उठाई है.
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