मंथन डेस्क
PATNA:अशफाक़ रहमान,जनता दल राष्ट्रवादी के राष्ट्रीय संयोजक हैं.उनकी पैनी निगाह राष्ट्रीय राजनीति पर रहती है.लोकसभा चुनाव,महागठबंधन का मुसलमानों के साथ रवैया और अन्य मुद्दों पर समय मंथन ने उनसे बात की.प्रस्तुत है प्रमुख अंशः-
मुसलमानों का नेता कौन है
मुसलमानों का एकक्षत्र नेता लालू प्रसाद हैं.यादवों के वह नेता हैं या नहीं,मैं नहीं कह सकता.राजद को पचीस-सताईस प्रतिशत जो भी वोट मिलता है.उसमें 18 प्रतिशत एकमुश्त मुसलमानों का वोट है.दो-तीन प्रतिशत यादवों का और बाक़ी उन जातियों का एक-एक प्रतिशत वोट मिलता है जिसका उम्मीदवार रहता हैं.मुसलमान जब एकक्षत्र 18 प्रतिशत वोट लालू को देता है तो उसका नेता कौन हुआ.?
लालू,यादव के नेता नहीं हैं?
हैं ना,9 यादव को टिकट दिया उनके और अपने परिवार के.हमने पहले ही कहा कि यादव के नेता हैं या नहीं.क्योंकि जो यादव नेता उनके साथ थे अलग हो गये.आज यादव के कई नेता हैं.पप्पू यादव जो पूर्णिया में चुनौती बन खड़े हैं.जन-जन के नेता हैं.सबके दुःख-सुख में शामिल रहते हैं.रामकृपाल यादव जो लालू की बेटी मीसा को हराते आ रहे हैं.भाजपा में हैं लेकिन मुसलमानों के मरनी-जीनी में शामिल होते हैं.व्यावहारिक आदमी हैं.यादव नेताओं में देवेन्द्र प्रसाद यादव भी हैं,केंद्रीय मंत्री रहे हैं.रंजन यादव हैं सांसद रहे हैं.यादव में नेताओं की कमी नहीं है.शुरुआती दौर में लालू से सभी लोग आसानी से मिल लेते थे.आज उनके परिवार से मिलने के लिए महीनों लाइन लगाना पड़ता है.
मुसलमान लालू को नेता क्यों मानता है?
आडवाणी को गिरफ़्तार किसने किया,मुसलमानों ने किया?दीगर बात है कि जिस अयोध्या प्रकरण को लेकर लालू ने आडवाणी को गिरफ़्तार किया ,लालू का परिवार अयोध्या जायेगा ,रामलला का दर्शन करेगा.मुसलमानों पर लालू का क़र्ज़ है.तीन दशक से मुसलमान इस क़र्ज़ को उतार रहा है और हम उम्मीद करते हैं तीस-चालीस साल तक इस क़र्ज़ के बोझ को निभाना पड़ेगा.जो क़र्ज़ उसने अपने उपर लिया है.नस्ल दर नस्ल तीन-चार पुश्त को यह क़र्ज़ उतारना होगा.तब जा कर शायद क़र्ज़ उतर पाये.
आपने कहा कि दो टिकट भी लालू का अहसान है?
मुसलमान इसके लायक़ भी नहीं हैं.इसमें बेचैन होने वाली कौन सी बात है.मुसलमानों ने जब अपना नेता लालू प्रसाद को मान लिया तो उनका परिवार,उनकी जाति तो चुनाव लड़ ही रहा है.आप यादव हैं या लालू परिवार से आते हैं?जो उचित हिस्सेदारी मिलेगी.मुसलमान को पहले यादव बनना पड़ेगा.एकमुश्त वोट जब दीजिएगा लालू को तो हिस्सेदारी की बात कहां बनती है.तेजस्वी,सहनी को लेकर घूम रहे हैं आप कहां हैं?आपने अपनी लीडरशिप खड़ी की है?जब आप लीडर नहीं हैं तो लालू ,उसके बेटे ,बेटी का निर्णय को स्वीकार करना ही होगा.मुसलमानों की हालत बेगाने की शादी में अब्दुल्ला दीवाना जैसी है.
मुसलमानों की यह हालत क्यों है?
इसलिए कि मुसलमान अपने नेता को नहीं मानता,मुसलमानों के पास जब उसका अपना नेता जाता है तो उसके अंदर डर बैठा हुआ है कि हम जीतेंगे थोड़े ही.इसलिए लालू जी समझते हैं कि चलो तुम लोग हमको नेता मानो,हम तुम्हारे लिए काम कर ही दे रहे हैं.एक-दुगो कभी कधार टिकट भी दे देते हैं.एकाक आदमी जीते एकाक आदमी हारे.बहुत है इतना जीने-खाने के लिए.
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