मंथन डेस्क

PATNA:जनता दल राष्ट्रवादी के राष्ट्रीय संयोजक अशफाक़ रहमान ने कहा है कि मोदी की तपस्या कामयाब हो गयी है.कथित सेकुलर दलों ने भी मुस्लिम वोट ले लिया है. . .लेकिन मुसलमानों का क्या?

मुसलमान भाजपा के लिए अछूत है ही,लेकिन इंडिया गठबंधन ने कौन सा सम्मान,प्रतिष्ठा से मुसलमानों को नवाज़ा.इस बार तो हद ही हो गयी.सभी सेकुलर कहे जाने वाली पार्टियों ने टिकट देने से आना-कानी किया ही मंच पर भी जूता पहनाने या कुर्सी लगाने के लिए भी खड़ा नहीं किया.अपने बग़ल में बैठाना तो दूर की बात.इनको सिर्फ वोट चाहिए था वोट ले लिया.

आजकी बैठक में ही देख लीजिए कितने मुस्लिम शामिल थे और कौन थे.उमर अब्दुल्ला चुनाव हार गये हैं मगर बैठक में थे.असद उद्दीन ओवैसी चुनाव जीत गये हैं उन्हें बैठक में शामिल नहीं किया.छोड़िए ओवैसी साहब को जो 23 मुस्लिम सांसद जीते हैं उसमें से ही किसी को शामिल करते.जब एक पार्टी से कई नेता शामिल हो सकते हैं तो दो-चार मुसलमान प्रतिनिधि क्यों नहीं?

अशफाक़ रहमान कहते हैं कि मोदी की तपस्या कामयाब हुई,उनको हार्दिक बधाई.वैसे भारत का एक हज़ार साल का जब इतिहास लिखा जायेगा तो सन 2024 को ज़रूर लिखा जायेगा.यह तमाम विरोध के बावजूद ऐसा पहला चुनाव माना जायेगा जिसमें सांसद तक को जनता ने दौड़ाया,उनसे तीखे सवाल पूछे यह और बात है कि बाद में उसी को लोगों ने वोट भी दिया.

देश को समझने की ज़रूरत है कि भगवान इनसे बहुत ख़ुश है और इनकी तपस्या को मान्यता मिलती है.जब आरएसएस भी बीजेपी को नहीं हरा सकी तो नड्डा साहब की बात सही हो गयी कि मोदी जी ज़्यादा बड़े हैं.मुसलमानों को इस परिणाम से अधिक चिंतित होने की ज़रूरत नहीं है.इनको कौन सा प्रधानमंत्री,मुख्यमंत्री या मंत्री बनना है.अठारह -उन्नीस प्रतिशत होने के बाद भी न यह ख़ुद यूनाईट हैं और न कोई इन्हें सियासी हिस्सेदारी देने को तैयार है.ऐसी परस्तिथि में कोई जीते कोई हारे मुसलमानों का क्या?

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