Patna: विश्व बाल श्रम निषेध दिवस मनाने के अवसर पर यूनिसेफ बिहार के सहयोग से बिहार राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग और सीसीएचटी (मानव तस्करी के खिलाफ सामूहिक गठबंधन) द्वारा आयोजित एक वर्चुअल बैठक में 4 प्रमुख विभागों, समाज कल्याण, शिक्षा, पुलिस एवं श्रम संसाधन के प्रतिनिधियों ने राज्य में बाल श्रम के उन्मूलन की दिशा में अंतर-विभागीय समन्वय में सुधार लाने का संकल्प लिया।
प्रमिला, अध्यक्ष, एससीपीसीआर, बिहार ने संयुक्त शपथ दिलाने के साथ कहा कि एससीपीसीआर द्वारा यह भी परिकल्पना की जा रही है कि दस सरकारी विभागों के सभी कार्य बिंदुओं के साथ एक औपचारिक संचार सुनिश्चित करने के लिए मुख्य सचिव, बिहार सरकार को एक पत्र भेजा जाए ताकि मानव तस्करी पर राज्य कार्य योजना के तहत गठित बाल श्रम राज्य कार्य योजना और राज्य स्तरीय मानव तस्करी विरोधी समन्वय समिति के तहत गठित बाल श्रम के लिए राज्य कार्य बल की बैठक आयोजित की जा सके।


“शिक्षा का अधिकार और बाल श्रम आपस में जुड़े हुए हैं। कोरोना के कारण स्कूल बंद होने से पहले सिर्फ़ 60 फीसदी बच्चे ही स्कूल आ पा रहे थे। बाकी के 40 फीसदी दाखिला लेने के बाद भी नहीं आ पा रहे हैं. 40% बच्चों का यह समूह विशेष रूप से असुरक्षित है और इनकी तस्करी और बाल श्रम में धकेले जाने की संभावना काफी ज़्यादा है। कोविड महामारी के दौर में सबकी पढाई सुनिश्चित करने में डिजिटल डिवाइड एक बड़ी बाधा है। हमें इन सभी बच्चों को स्कूलों में वापस लाने के लिए समन्वित प्रयास करने की आवश्यकता है, ” संजय कुमार, अपर मुख्या सचिव, शिक्षा विभाग ने कहा।
समाज कल्याण विभाग के निदेशक राज कुमार ने कहा कि बाल श्रम एक बहुआयामी समस्या है। पिछले दो वर्षों में, हमने धावा दल के माध्यम से राज्य के बाहर तस्करी किए गए 289 और राज्य के अन्दर 160 बच्चों को छुड़ाने और उनका पुनर्वास करने का काम किया है। बाल मजदूरों को बचाने के अलावा पंचायत व वार्ड स्तर की बाल संरक्षण समितियों के माध्यम से इसे रोकने का भी प्रयास किया जा रहा है।
यूनिसेफ बिहार राज्य प्रमुख, नफीसा बिंते शफीक ने कहा कि कोरोना महामारी ने दुनिया भर में बाल श्रम को समाप्त करने के लिए अब तक किए गए प्रयासों की प्रगति पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है। बाल श्रम को समाप्त करने के व्यापक संकल्प और सतत विकास लक्ष्य के आलोक में 2021 को बाल श्रम के उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय वर्ष के रूप में घोषित किया गया है। इसी सिलसिले में 12 जून से ‘वीक ऑफ़ एक्शन’ मनाया जा रहा है। बाल श्रम को खत्म करने के हर प्रयास में यूनिसेफ सभी संबंधित विभागों के साथ पूरी प्रतिबद्धता के साथ खड़ा है।
सीसीएचटी के शिल्पी और गौतम ने कहा कि सभी 38 जिलों में हमारे स्वयंसेवकों की पर्याप्त उपस्थिति है और हम यूनिसेफ के सभी 22 परियोजना जिलों में बाल तस्करी के बारे में लोगों को जागरूक करने में सहयोग करने को तत्पर हैं।

“शिक्षा का अधिकार और बाल श्रम आपस में जुड़े हुए हैं। कोरोना के कारण स्कूल बंद होने से पहले सिर्फ़ 60 फीसदी बच्चे ही स्कूल आ पा रहे थे। बाकी के 40 फीसदी दाखिला लेने के बाद भी नहीं आ पा रहे हैं. 40% बच्चों का यह समूह विशेष रूप से असुरक्षित है और इनकी तस्करी और बाल श्रम में धकेले जाने की संभावना काफी ज़्यादा है।


बीरेंद्र कुमार, संयुक्त श्रम आयुक्त, श्रम संसाधन विभाग, बिहार सरकार के अनुसार बाल श्रम से मुक्त कराए गए बच्चों को आवासीय व्यावसायिक शिक्षा प्रदान करने के लिए पटना, गया, बांका और जमुई में स्थापित सभी चार विशेष प्रशिक्षण केंद्र कोविड महामारी के कारण बंद हैं, इसलिए बच्चों को उनके परिवारों के पास भेज दिया गया है। जिला प्रशासन को नियमित रूप से परिवारों के साथ संवाद करने का काम सौंपा गया है ताकि इन बच्चों को फिर से बाल श्रम में धकेला नहीं जा सके। वर्तमान में अपने परिवारों के साथ रह रहे 14 साल से कम उम्र के कुल 1629 बच्चों को सीएम राहत कोष के तहत उनके बैंक खातों में ₹25,000 हस्तांतरित किए गए हैं। सरकार इन बच्चों के परिवारों को सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से जोड़ने के लिए भी सभी प्रयास कर रही है।
बाल श्रम के उन्मूलन के लिए एक व्यापक समाधान की वकालत करते हुए आईएलओ के नरसिम्हन गडीराजू ने मुक्त कराए गए बच्चों के लिए व्यावसायिक प्रशिक्षण की व्यवस्था करने की आवश्यकता पर ज़ोर डाला। एम्स, पटना के डॉ राजीव रंजन ने वैसे बच्चे जिन्होंने जिन्होंने कोविड के कारण अपने माता-पिता को खो दिया है के मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर करने पर बल दिया।
सीआईडी के एडीजी अनिल किशोर यादव ने कहा कि पुलिस बाल अधिकारों के उल्लंघन से जुड़े सभी मामलों में त्वरित कार्रवाई करती है. बाल श्रम या तस्करी से संबंधित मामलों को पुलिस के संज्ञान में लाने में सिविल सोसाइटी की भूमिका अहम है। न्याय वितरण प्रणाली को मजबूत करने के लिए सभी विभागों का समन्वय जरूरी है।
यूनिसेफ बिहार के बाल संरक्षण विशेषज्ञ सैयद मंसूर कादरी ने कहा कि इस बैठक को आयोजित करने का उद्देश्य जिला, ब्लॉक और पंचायत स्तर पर बाल श्रम को खत्म करने और मानव तस्करी से निपटने हेतु अगले 6 महीने के लिए एक अल्पकालिक योजना तैयार करना है।
एससीपीसीआर की सुनयना द्वारा अतिथियों का स्वागत किया गया। रश्मि झा ने पूरे सत्र का संचालन किया। बीएससीपीसीआर के सदस्य सचिव, रमेश झा ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

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