सेराज अनवर

PATNA:पहली बार आम मुसलमान और नीतीश सरकार के बीच दिल खोल कर बात हुई.गिला-शिकवा का दौर चला.महागठबंधन सरकार की नीयत और नीति पर सवाल उठे.मुस्लिम संस्थानों को लेकर सरकारी रवैया पर चिंता जतायी गयी.सरकार ने एलान कर दिया दो महीने के अंदर सभी रिक्त संस्थानों की भर्ती कर दी जायेगी.इसमें अल्पसंख्यक आयोग,बिहार उर्दू अकादमी,उर्दू परामर्शदात्रि समिति,मदरसा एजुकेशन बोर्ड आदि शामिल है.यह बैठक अक़लियत गोलबंद मोर्चा के संयोजक इश्तियाक़ अहमद ने डॉ.रंजन प्रसाद यादव के रंजन पथ स्थित आवास पर बुलायी थी.जिसमें बिहार के लगभग सभी जिले से एक-दो प्रतिनिधि ने शिरकत की.पूर्व सांसद और जदयू नेता डॉ.रंजन प्रसाद यादव ने बैठक की अध्यक्षता की.इस बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी आमंत्रित किया गया था.कर्नाटक में कांग्रेस के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के शपथ ग्रहण समारोह में शिरकत करने की वजह से वह नहीं आ सके.जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह भी नीतीश के साथ कर्नाटक चले गये.इस परस्तिथि में मुख्यमंत्री ने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा को अपना नुमाइंदा बना कर भेजा.उमेश कुशवाहा ने ही वादा किया कि कुछ राजनीतिक परस्तिथि के कारण इसका गठन नहीं हुआ लेकिन जदयू के प्रदेश अध्यक्ष के नाते यक़ीन दिलाता हूं कि दो महीने के अंदर उक्त सभी संस्थान का पूर्ण गठन कर दिया जायेगा.

मुस्लिम आवाम ने बिहार शरीफ और सासाराम में साम्प्रदायिक हिंसा,मुस्लिम इदारों के डिफ़ंक्ट रहने,सरकार के साथ संवादहीनता,सत्ता,संगठन में उचित भागीदारी के सवाल को प्रमुखता से उठाया.यही हाल रहने पर ओवैसी का डर भी दिखाया.कुढ़नी और गोपालगंज में महागठबंधन की हार का मिसाल दिया गया.महागठबंधन में उचित भागीदारी नहीं मिलने पर भारी नाराज़गी का ज़िक्र किया गया.कहा गया कि कोई ऐसी कमिटी हो जो सरकार और मुसलमान के बीच कड़ी का काम कर सके.हमारी समस्यायें सुनी जाये और उसका समाधान हो.हम नहीं चाहते कि महागठबंधन को 2024 में कोई नुक़सान हो.मुस्लिम समाज के विकास केलिए नीतीश कुमार द्वारा किये गये कार्यों की भी सराहना की गयी.यह भी कहा गया कि हमारी समस्याओं का समाधान कर दिया जाये तो जैसे पहले मज़बूती से खड़े थे,रहेंगे.हमें तो मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री बनना है नहीं.लेकिन,धर्मनिरपेक्ष दलों को मुसलमानों के साथ मज़बूती से खड़ा हो कर दिखाना होगा.हम अपना गिला किससे कहें,किसको शिकायत सुनायें.लालू प्रसाद और रंजन यादव के जमाने में मुसलमानों की बातें सुनी जाती थीं.शकील अहमद खान थे,तस्लीम उद्दीन थे.ख़ुद लालू और रंजन यादव उपलब्ध रहते थे.आज स्तिथि उल्टी है.

सारी शिकायत सुनने के बाद उमेश कुशवाहा ने भी मुस्लिम समाज से अपना गिला सुनाना शुरू किया.नीतीश कुमार की उपलब्धियों का ज़िक्र करते हुए कहा कि गिनाना शुरू करुं तो घंटो लग जाएगा.नीतीश जी ने मुस्लिम समाज के लिए क्या-क्या नहीं किया.पहले अल्पसंख्यकों के विकास केलिए बजट कितना था,आज कितना है?167 गुणा की बढ़ोतरी हुई.क़ब्रिस्तानों की घेराबंदी हुई,अल्पसंख्यक छात्रावास का निर्माण हुआ.संगठन में उचित जगह मिली.बकखो,लालबेगी तक को सम्मान दिया गया.पहले इतना सम्मान मिलता था.इसके बाद भी कोई शिकायत है तो पटना में रहने पर तीसों दिन जदयू दफ़्तर में हम बैठते हैं.वहां आयें,हमसे मिलें,तीन मंत्री को बैठाते हैं.शिकायत,समस्या दूर नहीं हुई तो फिर बोलें.उन्होंने कहा कि जो भी आपकी शिकायत है उससे मुख्यमंत्री जी को अवगत करायेंगे.मसअला हल होगा.

तय पाया कि रंजन यादव की सरपरस्ती में एक सात सदस्यीय समन्वय समिति का गठन किया जायेगा.जो सरकार और मुसलमान के बीच संवाद स्थापित करने का काम करेगा.रंजन यादव ने कहा कि मिल-बैठ कर मसअला हल किया जायेगा.इसके लिए नीतीश जी से बात करेंगे.गौरतलब है कि इस बैठक का श्रेय रंजन प्रसाद यादव को जाता है.राजद सुप्रीमो और अभिन्न मित्र रहे लालू प्रसाद से पुनः मिलन के बाद वह मुसलमानों के मसअला को लेकर पुनः सक्रिय हो गये.लोगों ने कहा भी जब रंजन यादव सरकार में हुआ करते थे तो बिहार की यूनिवर्सिटीयों में एक साथ पांच-पांच मुस्लिम कुलपति होते थे,इंटरमेडियट कौंसिल और बीपीएससी के चेयरमैन भी मुसलमान होते थे.रंजन यादव के बुलावा पर ही इतने लोग जुट पाये.बड़ी गम्भीर बातें हुईं.कोई सम्मानजनक समाधान निकलने की उम्मीद बंधी है.राज्य के मुसलमानों को गोलबंद करने का काम मोर्चा के संयोजक इश्तियाक़ अहमद रास्ती कर रहे हैं.मुसलमानों का पहलासम्मेलन गांधी मैदान में अक़लियत गोलबंद मोर्चा के बैनर तले ही हुआ था.इश्तियाक़ अहमद बापू सभागार में फिर कॉन्फ़्रेन्स की तैयारी में जुट गये हैं.

इस बैठक में जदयू की प्रदेश प्रवक्ता अंजुम आरा,ऑल इंडिया मिल्ली काउंसिल के महासचिव मौलाना अनीस उर रहमान क़ासमी,सामाजिक कार्यकर्ता शौक़त अली रिज़वी,कांग्रेस नेता एहसानुल हक़,क़ौमी तंज़ीम के सम्पादक अशरफ़ फ़रीद,अवामी न्यूज़ के सम्पादक रेहान गनी,जमियत उल उलेमा के अनवारुल होदा,पत्रकार ज़िया उल हसन,नवाब अतीक़ उज़ ज़मा आदि शामिल थे

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35 thoughts on “नीतीश सरकार और मुस्लिम आवाम में समन्वय केलिए बनेगी सात सदस्यीय कमिटी”
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