•जांच टीम ने गिरफ्तार आरोपितों के घरों का किया दौरा, परिजनों स्थानीय लोगों से की बातचीत

•एएसपी फुलवारीशरीफ से भी जांच टीम ने की मुलाकात, इमारतशरिया का किया दौरा.

•पूरा मामला राजनीति से प्रेरित, भाजपा के मिशन 2024 प्लान का हिस्सा, नीतीश कुमार की चुपी खतरनाक.

•फुलवारीशरीफ को आतंकवाद का सेंटर बताकर पूरे मुस्लिम समुदाय को किया जा रहा टारगेट.

•21-23 जुलाई को राज्य व्यापी नागरिक प्रतिवाद की घोषणा

मंथन डेस्क

PATNA:भाकपा-माले, एआइपीएफ और इंसाफ मंच की एक संयुक्त राज्यस्तरीय टीम ने आज फुलवारीशरीफ का दौरा किया और पुलिस द्वारा आतंकवाद व देशविरोधी कार्रवाइयों के आरोप में मुस्लिम समुदाय के गिरफ्तार पांच में चार मामले की गहन जांच पड़ताल की.

जांच टीम में भाकपा-माले के राज्य सचिव कुणाल, पोलित ब्यूरो के सदस्य काॅ. अमर, भाकपा-माले विधायक दल के नेता महबूब आलम, फुलवारी से पार्टी विधायक गोपाल रविदास, पालीगंज से पार्टी विधायक संदीप सौरभ, एआइपीएफ के गालिब व अनिल अंशुमन,भाकपा-माले के मीडिया प्रभारी कुमार परवेज, इंसाफ मंच के राज्य अध्यक्ष सूरज कुमार सिंह,राज्य सचिव कयामुद्दीन अंसारी, आफताब आलम, फहद जमां, असलम रहमानी, आफ्शा जबीं, नसरीन बानो तथा स्थानीय पार्टी नेता गुरूदेव दास, साधु प्रसाद सहित कई स्थानीय लोग शामिल थे.

जांच टीम ने अपनी जांच के बाद संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि यह पूरा मामला भाजपा के मिशन 2024 का हिस्सा है, जिसमें भाजपा मुस्लिम समुदाय को एक बार फिर से टारगेट पर ले रही है और इसके जरिए देश में हिंदू-मुसलमान का ध्रुवीकरण करने की कोशिश कर रही है. दुर्भाग्यूपर्ण यह है कि पूरा प्रशासनिक तंत्र आज भाजपा के इशारे पर काम कर रही है.

जांच टीम ने इस मसले पर नीतीश कुमार की अबतक की चुप्पी की कड़ी आलोचना की. कहा कि वे मुसलमानों के रहनुमा होने का दावा करते हैं, लेकिन जब एक-दो संदिग्ध मामलों को लेकर पूरे मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है, तब उन्होंने एक शब्द बोलना उचित नहीं समझा.

जांच टीम को गिरफ्तार चार आरोपितों के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं मिला. जिस प्रशासन ने उन्हें गिरफ्तार किया है, वे भी कोई ठोस सबूत उपलब्ध नहीं करवा सके, लेकिन मामले को ऐसा बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत किया जा रहा है, मानो फुलवारीशरीफ आतंकवाद का केंद्र हो. प्रशासन की इस तरह की गैरजिम्मेवाराना व अंधेरे में रखने वाली कार्रवाइयों ने मुस्लिम समुदाय को दहशत के साए में जीने को मजबूर कर दिया है. इसके खिलाफ भाकपा-माले, एआइपीएफ व इंसाफ मंच 21-23 जुलाई को पूरे राज्य में नागरिक प्रतिवाद का ऐलान करते हैं.

जांच टीम ने सबसे पहले पीएफआइ को किराए पर जगह देने वाले जलालुद्दीन खां के घर का दौरा किया, जिसका नाम अहमद पैलेस है. उनके भाई अशरफ अली व उनके बेटे से बात की. फिर अतहर परवेज, अरमान मलिक तथा गजवा-ए-हिंद से जुड़े होने के आरोप में गिरफ्तार मरगुब के घर का दौरा किया, उनके परिजनों से मुलाकात की और पूरे मामले की तहकीकात की. जांच टीम ने एएसपी मनीष कुमार से भी बातचीत की. उसने इमारत-ए-शरिया का भी दौरा किया और वहां के पदाधिकारियों से बात की.

जांच टीम की प्रमुख फाइंडिंग निष्कर्ष

  1. आरोपितों के परिजनों व स्थानीय लोगों से बातचीत और पीएफआई के कार्यालय के लिए दी गई जगह अहमद पैलेस के दौरा के बाद जांच टीम को उपर्युक्त चार लोगों के आतंकवादी या देशद्रोही गतिविधियों में शामिल होने के कोई ठोस सबूत नहीं मिले. टीम ने एएसपी मनीष कुमार से भी इस बाबत सबूत मांगे, लेकिन वे भी कोई ठोस सबूत नहीं दिखला सके.
  2. यह पूछे जाने पर कि यदि जलालुद्दीन खां द्वारा किराए पर दी जाने वाली जगह पर आतंकी व देशविरोधी गतिविधियां चलाने की जानकारी पुलिस को पहले से थी, तो उसने पहले कार्रवाई क्यों नहीं की? एएसपी के पास इसका कोई जबाव नहीं था. वे इसका भी जवाब नहीं दे सके कि 12 जुलाई की गिरफ्तारी के बाद उस जगह को सील क्यों नहीं किया गया?
  3. जलालुद्दीन खां ने अहमद पैलेस को कोई 2 महीने पहले अतहर परवेज को किराए पर दी थी, जिसका एग्रीमेंट भी है. यह अभी निर्माणाधीन है. लगभग 600 स्कैवर फीट के किसी कमरे में, जिसके अंदर दो पीलर हों, भला चाकू या तलवारबाजी कैसे हो सकती है? कमरे का सड़क की ओर का पूरा हिस्सा पारदर्शी है, फिर भला ऐसी कार्रवाई होते रहे और लोगों को पता न चले, यह कैसे संभव है? एएसपी इसके बारे में भी कुछ नहीं बतला सके. वे सिर्फ इतना कहते रहे कि मार्शल आर्ट की आड़ में गैरकानूनी काम होते थे.
  4. एएसपी ने स्वीकार किया कि ये गिरफ्तारियां शक के आधार पर की गई हैं. फिर जब इस आधार पर पूरे फुलवारीशरीफ व मुस्लिम समुदाय को टारगेट किया जा रहा है, तब उसे रोकने के लिए प्रशासन ने कौन से कदम उठाए, इसपर फिर वे कोई जवाब न दे सके.
  5. अतहर परवेज के भाई शाहिद परवेज ने बताया कि उनके घर से एसडीपीआई के कुछ झंडे पुलिस ने पकड़ा और कुछ प्रोपर्टी डीलिंग के कागजात. अतहर परवेज के छोटे भाई मंजर परवेज को बहुत पहले सिमी मामले में गिरफ्तार किया गया था और फिर उनकी बाइज्जत रिहाई भी की गई. गांधी मैदान बम ब्लास्ट मामले से इस परिवार का कोई संबंध नहीं है, जिसे खूब प्रचारित किया जा रहा है. इस तथ्य को एएसपी ने भी स्वीकार किया.
  6. अरमान मलिक की मां, पत्नी व बहन ने जांच दल को बताया कि पुलिस 14 जुलाई को 2 बजे रात में आई और उन्हें उठाकर ले गई. पुलिस ने कहा कि दिल्ली से खबर मिली है अरमान मलिक देशविरोधी गतिविधियां चलाते हैं. अरमान मलिक सामाजिक कार्यकर्ता हैं और एनआरसी के खिलाफ चले आंदोलन के एक मुख्य संगठनकर्ता रहे हैं. जांच दल को यह आशंका है कि ऐसे आंदोलनों में शामिल रहने वाले लोगों को जानबूझकर निशाना बनाया जा रहा है.
  7. गिरफ्तार मरगुब 75 प्रतिशत मानसिक तौर पर बीमार है, उसे मोबाइल का एडिक्शन है. वह कभी विदेश नहीं गया, जिसे खूब उछाला जा रहा है. उसे गजवा-ए-हिंद के कुछ व्हाट्सएप ग्रुप चलाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. यदि उसे ऐसे मामले में गिरफ्तार किया जा सकता है, तो देश को हिंदू राष्ट्र बनाने की दिन-रात कसमें खाने वाले और संविधान की हत्या करने वालों के बारे में प्रशासन चुप क्यों है?

जांच टीम की मांग

  1. प्रशासन गिरफ्तार सभी गिरफ्तार 5 आरोपितों के बारे में जनता के सामने सबूत पेश करे, ताकि भ्रम की स्थिति खत्म हो. किसी भी निर्दोष को गिरफ्तार न किया जाए.
  2. पूरे मुस्लिम समुदाय व फुलवारीशरीफ को टारगेट करने वाले विचारों व व्यक्तियों की शिनाख्त कर कार्रवाई की जाए. गैरजिम्मेवराना हरकत से सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ाने वालों पर कठोर कार्रवाई हो.
  3. यह पूरी कार्रवाई प्रधानमंत्री के बिहार दौरे से भी जोड़कर देखी जा रही है. जांच दल इसे भाजपा की एक सुनियोजित चाल मानती है. अतः नीतीश कुमार अपनी चुपी तोड़ें और मामले की अपने स्तर से जांच कराएं.

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