जब 2019 के लोकसभा चुनाव में महागठबंधन एनडीए की आंधी में उड़ गया तो मोहम्मद जावेद ने ही किशनगंज से विजय पताका लहरा कांग्रेस और महागठबंधन की लाज बचायी थी.आज उसी सांसद को राजगीर शिविर में बोलने नहीं दिया जा रहा है,

सेराज अनवर

PATNA:बिहार कांग्रेस सुधरने का नाम नहीं ले रही है.राजद द्वारा अपमानित और बोचहा विधानसभा उपचुनाव में मिट्टी पलीद होने के बाद भी एंठन वही है.उदयपुर शिविर में कई बेहतरीन प्रस्ताव लेकर सोनिया गांधी ने राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस को ज़िंदा करने का प्रयास किया है.एक प्रस्ताव में अल्पसंख्यकों संगठन-सत्ता में तरजीह देने की बात कही गयी है.मगर बिहार कांग्रेस ने उसे रद्दी की टोकरी में डाल दिया है.डॉ.मोहम्मद जावेद बिहार से कांग्रेस के इकलौते सांसद हैं.जब 2019 के लोकसभा चुनाव में महागठबंधन एनडीए की आंधी में उड़ गया तो मोहम्मद जावेद ने ही किशनगंज से विजय पताका लहरा कांग्रेस और महागठबंधन की लाज बचायी थी.आज उसी सांसद को राजगीर शिविर में बोलने नहीं दिया जा रहा है,फ़्रंट में जगह नहीं दी गयी है.शिविर शुरू होते ही मोहम्मद जावेद को नज़रअंदाज़ करने पर हंगामा हो गया.मालूम हो कि राजगीर में आज से कांग्रेस का दो दिवसीय नव संकल्प चिंतन का आग़ाज़ हुआ है.

दो दिवसीय चिंतन शिविर में बिहार एवं बिहार से जुड़े पार्टी के करीब 300 प्रतिनिधि शामिल हो रहें हैं.इस शिविर में
बिहार कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तारीक अनवर ,पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉक्टर शकील अहमद,पूर्व सांसद निखिल कुमार, राज्यसभा सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह, पार्टी के किशनगंज सांसद डॉ मोहम्मद जावेद समेत पार्टी के सभी विधायक,विधान पार्षद, पूर्व सांसद,पूर्व विधायक,पूर्व विधान पार्षद, सभी जिलों के जिला अध्यक्ष के अलावे बिहार प्रदेश कांग्रेस कमिटी के वरिष्ठ नेतागण शामिल हो रहें हैं.मगर
गुटबाज़ी भी ख़ूब हो रही है.एक दो को छोड़ कर कई मुस्लिम नेताओं को तरजीह नहीं दी गयी है.उदयपुर रेजुलेशन के अनुसार पिछड़ा,दलित और मुसलमान को पचास प्रतिशत आरक्षण देना है.मतलब किसी भी समारोह,शिविर में भी अल्पसंख्यक समाज के नुमाइंदों,नेताओं को प्राथमिकता देनी है.लेकिन राजगीर शिविर में उलट नज़ारा देखने को मिल रहा है.

हंगामे के बाद डॉ.जावेद का नाम चिपकाया गया गया

दरअसल नव संकल्प शिविर की वक्ता की लिस्ट से इकलौते सांसद डॉ मोहम्मद जावेद का नाम ही गायब है.हद तो तब हो गयी जब तीन बार के विधायक और मोदी लहर में भी किशनगंज संसदीय सीट बचाने वाले डॉक्टर मोहम्मद जावेद को दर्शक दीर्घा की लाइन में लगा दिया गया.कांग्रेस के पूर्व वक्ता अरशद अब्बास ने बताया कि हंगामा के बाद उनकी कुर्सी फ़्रंट लाइन में लगायी गयी.डॉ जावेद के साथ अन्य मुस्लिम प्रतिनिधियों को भी नज़रअंदाज़ करने का पार्टी पर आरोप लग रहा है.इस सूची में पूर्व मंत्री शकील उज्ज़मा अंसारी और तीन बार बिधायक रहे आफ़ाक आलम का भी नाम सूची में नहीं रहने पर वरिष्ठ कांग्रेसी नेता आफ़ाक अहमद खान ने हैरत के साथ अफसोस जताया है.

शिविर में पहुंचे प्रतिनिधि

उधर गुफ़रान वाली ने अपने फेसबुक पेज पर बिहार कांग्रेस में गुटबंदी का संकेत दिया है.कांग्रेस के युवा और संजीदा नेता गुफ़रान ने लिखा है कि बिहार कांग्रेस अध्यक्ष पद को लेकर दलित और सवर्ण में बंट गयी है.उनका कहना है कि बिहार कांग्रेस में फिर से जान फूंकने के लिए पार्टी को मुसलमान पर भरोसा करना होगा.बहरहाल,चिंतन शिविर में विधायक डॉ शकील अहमद खान को सामाजिक न्याय की रूप रेखा प्रस्तुत करने की अहम ज़िम्मेवारी सौंपी गयी है.जबकि पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ शकील अहमद और तारिक़ अनवर को सभी सत्र के मुख्य वक्ता में जगह दी गयी है.इसके अलावा कार्यक़ारी अध्यक्ष रहे कौकब क़ादरी को भी वक्ता में रखा गया है.दो दिन के शिविर में सिर्फ चार मुसलमानों को अपनी बात रखने की इजाज़त है.

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