पद्मश्री सम्मान की शुरुआत भी आज़ादी के बाद हुई है तो कंगना को यह अवार्ड खुद से लौटा देना चाहिए,अन्यथा अवार्ड उनसे छीन लेना चाहिये,वह इस सम्मान के हक़दार नहीं हैं

पटना/मंथन डेस्क

पद्मश्री से सम्मानित अभिनेत्री कंगना रनौत के 1947 की आज़ादी को भीख में मिली बताने से अशफ़ाक़ रहमान बरस पड़े हैं.उन्होंने कहा कि आश्चर्य की बात तो यह है कि अभी तक उस पर देशद्रोह का मुक़दमा दर्ज क्यों नहीं हुआ?जनता दल राष्ट्रवादी के राष्ट्रीय संयोजक अशफाक़ रहमान का कहना है कि पद्मश्री सम्मान की शुरुआत भी आज़ादी के बाद हुई है तो कंगना को यह अवार्ड खुद से लौटा देना चाहिए,अन्यथा अवार्ड उनसे छीन लेना चाहिये,वह इस सम्मान के हक़दार नहीं हैं.2014 के बाद जो अवार्ड बनाये गये हैं वह अवार्ड दिया जाये.उन्हें नैतिकता की पतन अवार्ड से सम्मानित करना चाहिये.

आख़िर 2014 के बाद वह किस आज़ादी की बात कर रही हैं.कौन सी आज़ादी 2014 में मिली यह भी वह बतायें ज़रूर.वह आज़ादी जिसमें देश की अर्थ-व्यवस्था चौपट हो गयी?वह आज़ादी लाखों लोगों को रोज़ी-रोज़गार खोना पड़ा?यह वह आज़ादी जो लोकतंत्र की जगह अधर्मयुद्ध चल रहा है?तेज़ी से नैतिकता का पतन हुआ है,उस आज़ादी की तो वह बात नहीं कर रहीं.इंसानी मूल्यों में जो गिरावट आयी है उसकी बात तो कंगना नहीं कर रहीं?कौन

नैतिकता का पतन 2014 के बाद जितना भारत में हुआ है,दुनिया में कहीं नहीं हुआ है.नैतिकता के पतन का अलग से एक अवार्ड बना कर कंगना को सम्मानित किया जाये.पद्मश्री तो इनसे छीन ही लेना चाहिये.

अशफ़ाक़ रहमान कहते हैं कि आज़ादी को भीख बता कर कंगना ने लाखों-करोड़ों शहीदों का ही अपमान नहीं किया है,बल्कि मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति का भी अपमान किया है.लाल क़िले पर 15 अगस्त और 26 जनवरी को प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति तिरंगा क्यों फहराते हैं?उस दिन किस आज़ादी की चर्चा होती है?किस शहीद की बात होती है?देश किसकी आज़ादी का जश्न मनाता है?

अशफ़ाक़ रहमान कहते हैं कि कंगना का बयान देश के खिलाफ बग़ावत है,दुनिया को हमारी आज़ादी का मज़ाक़ उड़ाने का मौक़ा दिया है.उस पर तुरंत देशद्रोह का मुक़दमा दर्ज होना चाहिये और जेल में डालना चाहिये.इससे ज़्यादा शर्मिंदगी की बात नहीं होगी कि जिसे पद्मश्री अवार्ड जो आज़ादी के बाद भारतीय नागरिक को दिया जाता है और इस अवार्ड को पाने के बाद कोई यह कहे कि आज़ादी हमें भीख में मिली थी यह शहीदों का अपमान तो है ही,गंदी सियासत का भी यह सूत्रपात है.सरकार की मंशा क्या है नहीं मालूम मगर यह आज़ाद भारत का अपमान है.आर्थिक क्षेत्र में हम काफी पिछड़ गये हैं,इसकी चिंता नहीं है.नैतिकता का पतन 2014 के बाद जितना भारत में हुआ है,दुनिया में कहीं नहीं हुआ है.नैतिकता के पतन का अलग से एक अवार्ड बना कर कंगना को सम्मानित किया जाये.पद्मश्री तो इनसे छीन ही लेना चाहिये.

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