पटना/सेराज अनवर

जदयू नेताओं-कार्यकर्ताओं से बात कीजिए,कहेंगे पार्टी एकजुट है,कोई गुट नहीं है,कोई विवाद नहीं है.मगर अंदरखाने चालें चली जा रही हैं.खेला हो रहा है.केंद्रीय इस्पात मंत्री रामचंद्र प्रसाद सिंह क़ायदे से अब नीतीश कुमार को चिढ़ाने का खेल खेल रहे हैं.सबको मालूम है चिराग़ पासवान को मुख्यमंत्री देखना पसंद नहीं करते.रामबिलास पासवान की पुण्यतिथि पर चिराग़ के हज़ार बुलावे के बावजूद नीतीश कुमार उस कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए.जबकि केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस द्वारा आयोजित पासवान की पुण्यतिथि कार्यक्रम में शामिल हुए.नीतीश की चिराग़ से नफ़रत की इंतहा यह है.

आरसीपी ने ज़ख़्म को कुरेद दिया

आरसीपी सिंह के नेतृत्व वाले मंत्रालय के हिंदी सलाहकार समिति में बिहार से जिन पांच सदस्यों को शामिल किया गया है उसमें एक महत्वपूर्ण नाम चिराग़ पासवान का भी है.वही चिराग़ पासवान जिसका टीस नीतीश कुमार आजतक बर्दाश्त नहीं कर पा रहे.लोजपा(रामबिलास)के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग़ पासवान ने ऐसा काम ही किया कि वह ग़म भुलाये नहीं भुलाया जा सकता.चिराग़ की रणनीति की वजह से ही विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार की नेतृत्व वाला जदयू 50 सीट के अंदर सिमट कर रह गया.नीतीश कुमार इस चोट को भूल नहीं पा रहे.

समिति में चिराग़ को भी रखा

उधर आरसीपी सिंह चिराग़ की प्रतिष्ठा बढ़ा रहे हैं.कहने को तो हिंदी सलाहकार समिति में चिराग़ का मनोनयन राजभाषा समिति ने किया है मगर यह कैसे मुमकिन है कि संबंधित मंत्रालय के मंत्री से मशविरा न लिया गया हो.इस समिति में गुटबंदी के भय से राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह की राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के साथ ही जदयू मीडिया सेल के प्रदेश अध्यक्ष पद छोड़ने वाले डॉ.अमरदीप को भी शामिल किया गया है.ज़ाहिर सी बात है अपने समर्थक अमरदीप का नाम आरसीपी सिंह ने ही दिया होगा तो चिराग़ पर वीटो भी कर सकते थे?आरसीपी सिंह की इस सियासी पैंतरेबाज़ी का पार्टी में जल्द असर दिखेगा.

कौन-कौन बने सदस्य

चिराग़ पासवान,डॉ.अमरदीप,प्रो.रामबचन राय,डॉ.रिंकू कुमारी,सुधीर कुमार,दिनेश चंद्र यादव,संजय सेठ,सुनील कुमार सोनी,दिनेश चंद्र जेमल,भाई अनावाडीया,नरेश गुजराल,गोपाल कृष्ण ,महेश बांशीधर अग्रवाल समेत 14 सरकारी सदस्यों को भी मनोनित किया गया है.

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