उद्घाटन में जुटे देशभर के शिक्षाविद और बुद्धिजीवी, राजनेता ने अवैस अम्बर को दिल से दी बधाई
PATNA:रोजमाइन का नया और हाइटेक भवन छात्रों के भविष्य संवारने का दर्पण ही नहीं बलकी यह समाज का आइना भी है. समाज का आइना इसलिए भी है कि चंदे से बनने वाले भवन और उसे चलाने के लिए चंदा करने की परंपरा तो ख़ूब देखा है .रोजमाइन ने इस परम्परा को तोड़ते हुए मेहनत, मशक़्क़त की ऐसी इमारत खड़ी की है जो पीढ़ियों तक मशाल ए राह बनेगी। रोजमाइन एजुकेशनल एंड चेरिटेबल ट्रस्ट ने एक नया ट्रेंड सेट करने की कोशिश की है. जी हां, हम बात कर रहे हैं रोजमाइन एजुकेशनल एंड चेरिटेबल ट्रस्ट के नए भवन की. इसका उद्घाटन शनिवार को रोजमाइन ट्रस्ट के चेयरमैन अवैस अंबर की मां नफीसा खातून ने किया। यह भवन आशियाना दीघा रोड पर कोटेक महिंद्रा बैंक के बग़ल में स्थित है.उद्घाटन समारोह में देशभर से शिक्षाविद,बुद्धिजीवी की जमघट लगी.जिसमें कई उद्यमी,कॉलेजों के चेरयरमैन, डायरेक्टर और राजनेता शामिल हुए.
ये भवन छात्रों के भविष्य का दर्पण साबित होगा
उद्घटान समारोह को सम्बोधित करते हुए रोजमाइन एजुकेशनल एंड चेरिटेबल ट्रस्ट के चेयरमैन अवैस अम्बर ने कहा कि ये भवन छात्रों के भविष्य का दर्पण साबित होगा और कैरियर बनाने में मद्दगार भी बनेगा.इस भवन से छात्रों को मात्र रहने-खाने और परीक्षा शुल्क पर देशभर के बड़े कॉलेजों में पढ़ने का अवसर मिलेगा.इसलिए मुझे यक़ीन है ये भवन इतिहास के पन्नों पर स्वर्णिम अक्षरों में अपना नाम दर्ज कराएगा, क्योंकि अबतक संस्थाओं ने भवन के लिए चंदे का ही सहारा लिया है और घर-घर दरवाजे खटखटाएं हैं, लेकिन रोजमाइन एजुकेशनल एंड चेरिटेबल ट्रस्ट का ये भवन बिना किसी का दरवाजा खटखटाए हुए,बिना चंदा के अपने दम पर पसीना बहा कर खड़ा किया गया है. उन्होंने इस भवन की विशेषता बताते हुए कहा कि इसमें एक शानदार ऑडिटोरियम का निर्माण किया गया है, जिसमें सौ लोगों के बैठने की क्षमता है.इसके साथ ही पूरा भवन हाइटेक तरीके से डिजाइन किया गया है.जिसमें यहां आने वाले लोगों को सभी सुविधाएं मुहैया होगी. पूरा भवन वाइफाइ से लैस है.साथ ही नई बिल्डिंग पूरी तरह वातानुकुलित है. उन्होंने कहा कि ये भवन छात्रों की सफलता का प्रतीक है. रोजमाइन के माध्यम से पढ़ रहे हजारों छात्रों की कहानी को दर्शाता यहा भवन बिहार का इकलौता भवन है जो मेहनत,मशक़्क़त,लगन,लक्ष्य,जुनून के मिश्रण से बना है.
रोजमाइन के नाम लिखी एक नज्म पढ़ी गई
झारखंड से आए मौलाना रिजवी ने रोजमाइन के नाम लिखि नज्म .. अंधेरी रात में जुगनु का जो उजाला है, यही हमसफर है जो रास्ता दिखाने वाला है, अमीर-ए-शहर के ताकों में जो उजाला है, वो अब गरीब के घर में भी आने वाला है…… पढ़ी गई.ऑडिटोरियम में इस नज्म को मौलाना अब्दुल मोबीन रिजवी साहब ने अपनी पुरकशिश आवाजा में पढ़कर खूब तालियां बटोरी.इस दौरान उन्होंने कहा कि रोजमाइन के लिए नज्म लिखने का जो अवसर मिला ये ऐतिहािसक था.इस नज्म से देश में शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति आ सकती है.
विधायक युसुफ सलाउद्दीन ने ऑडिटेरियम का उद्घाटन किया
सिमरीबख्तियारपुर से राजद के विधायक युसुफ सलाउद्दीन ने रोजमाइन ट्रस्ट की नई बिल्डिंग में बने ऑडिटोरियम का उद्घाटन किया.इस दौरान उन्होंने कहा कि सौ लोगों की बैठने की कैपीसिटी का इस तरह का अत्याधुनिक ऑडिटोरियम बिहार में पहली बार देखा है.उन्होंने कहा कि रोजमाइन ट्रस्ट लगातार बच्चों के भविष्य को उज्ज्वल बनाता है.इस कड़ी में उन्होंने रोजमाइन ट्रस्ट के चेयरमैन अवैस अंबर की तारीफ करते हुए कहा कि अंबर का विजन और मिशन दोनों देशहित में समर्पित है.
क्या है रोजमाइन ट्रस्ट?
रोजमाइन एजुकेशनल एंड चेरिटेबल ट्रस्ट देश का इकलौता ट्रस्ट है जो समाज में छात्रों के उत्थान के लिए काम करता है.ट्रस्ट का मुख्य उद्देश देश का ग्रॉस इंरॉलमेंट रेशियो बढ़ाना है. इसी मकसद के तहत ट्रस्ट आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों की उच्च शिक्षा में कॉलेज फीस की पूरी जिम्मेदारी लेता है. इस ट्रस्ट के चेयरमैन अवैस अंबर हैं.ट्रस्ट के बारे में बताते हुए अंबर ने कहा कि इस ट्रस्ट की सोच वर्ष 2005 में पैदा हुई और वर्ष 2007 में यह ट्रस्ट
अस्तित्व में आया और उसके बाद छात्रों के उत्थान की कहानी शुरू हुई.जैसे-जैसे समय बीतता गया ट्रस्ट की सफलता की कहानी और लंबी होती गई और एक समय आया जब वर्ष 2015 में देश के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम साहब ने ट्रस्ट को बेहतरीन योगदान के लिए सम्मानित किया. कामयाबी की कहानी परवान चढ़ती गयी. सफलता की सीढ़ी पर चढ़ अंबर ने देश की सीमा को लांघ कर नेपाल में कदम रखा और नेपाल के 1000 छात्रों को गोद लेकर पढ़ाने का संकल्प लिया.इस दिशा में काम इतनी तेजी से बढ़ा कि सफलता बोल पड़ी और उस सफलता की आवाज नेपाल की पूर्व राष्ट्रपति विद्यादेवी भंडारी के कानों में पड़ी. उन्होंने भी वर्ष 2019 में रोजमाइन ट्रस्ट को सम्मानित किया. इस दौरान देश के कई राज्यों के राज्यपाल ने भी ट्रस्ट को सम्मानित किया.ये सफलता यहीं नहीं रूकी और ये निरंतर जारी है.
रोजमाइन एक मिशन का नाम
ट्रस्ट की वाइस चेयरमैन रूबिया अम्बर ने कहा कि रोजमाइन एक मिशन का नाम है.वे इस ट्रस्ट से वर्ष 2014 में जुड़ीं और निरंतर काम करते हुए लगभग एक दशक हो गए.इस दौरान कई उतार-चढ़ाव के बाद ये महसूस हुआ कि रोजमाइन ट्रस्ट छात्रों के जीने के सलीके और सोचने की सलाहियत को बदलने की ताकत रखता है. उन्होंने कहा कि रोजमाइन ट्रस्ट छात्रों के हित में उन्हें शिक्षित कर समाज को एक जिम्मेदार नागरिक देने का काम करता रहा है और करता रहेगा.रूबिया ने बताया कि रोजमाइन ट्रस्ट खुद एक मिशन है जो लगातार सफलता की कहानियां गढ़ता जा रहा है. उन्होंने कहा कि देश में अंबर जैसे लोग विरले ही पैदा होते हैं. अंबर की एक सोच ने कई ख्वाबों को पर लगा दिया है.अंबर ने कहा- 100-100 रुपए चंदे से कोई संस्था बड़ी नहीं होती इसके लिए कॉर्पोरेट और उनके जैसी सॉककी जरूरत होती है.
देश में चल रहे ट्रेंड पर बात करते हुए रोजमाइन एजुकेशनल एंड चेरिटेबल ट्रस्ट के चेयरमैन अवैस अंबर ने कहा कि किसी भी संस्था को यदि समाज की सेवा करनी है तो पहले ये तय करना होगा कि जिस क्षेत्र में वे काम कर रहे हैं उसमें कितने फंड की जरूरत होगी. अगर आप 100 रुपए के चंदे से भवन बना भी लेते हैं तो फिर उसे चलाने के लिए भी आपको चंदा करना पड़ेगा और ये क़ौम भावना में बहकर आपको एक बार 100-100 रुपए का चंदा दे सकती है, लेकिन हर बार नहीं देगी तो फिर आप बीच में ही फेल हो जाएंगे. इसलिए किसी भी बड़े मिशन को पूरा करने के लिए बड़े फाइनेंशियल पार्टनर की जरूरत पड़ती है.उन्होंने कहा कि रोजमाइन पूरे देश के लिए एक मॉडल के रूप में स्थपित हुआ है कि बिना किसी जकात, खैरात और चंदे के इतनी बड़ी इमारत बनाने और उसे चलाने में सफल है.उन्होंने कहा कि रोजमाइन ने आज तक चंदे की रसीद तक नहीं छपवाई.अंबर ने देश के सभी संस्थानों से अपील की है आप एक बार रोजमाइन की ऑफिस जरूर आएं और हमारे मॉडल को समझें.
ये लोग थे उपस्थित
पंजाब के एक कॉलेज के चेयरमैन मनप्रीत सिंह, देहरादून के कॉलेज के चेयरमैन भूपिंद्र सिंह, मेरठ के कॉलेज के चेयरमैन अतुल भारद्वाज, लुधियाना के कॉलेज के चेयरमैन गुरकिरत सिंह और संदीप सिंह, पंजाब के कॉलेज के चेयरमैन डॉ. आरपी गुप्ता, लखनऊ के कॉलेज के चेयरमैन जेपी सिंह, पंजाब के एक कॉलेज के चेयरमैन कुलपीद कुमार और सुखदेव कुमार आदि मौजूद थे.
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