सेराज अनवर

GAYA:गया किसी भी पर्व-त्योहार में मिसाल पेश करता है.कल भी गांधी मैदान में इसकी नज़ीर देखने को मिला.यहां रावण भी मुसलमान बनाता है और उसमें पटाखा भी मुसलमान ही लगाता है और जलाते हैं सनातनधर्मी.वर्षों से यह एकता चली आ रही है.यहां नाजों पटाखा से जलता है रावण.कल भी हज़ारों लोगों की मौजूदगी में धूं धूं कर जला रावण.गया के ब्रांडनेम नाजों पटाखा के प्रोप्राइटर हैं मोहम्मद शमीम.इनका परिवार ही रावण वध समारोह को जगमग करने का काम पीढ़ी दर पीढ़ी से करता आ रहा है.न कभी इस पर मुसलमानों को एतराज़ हुआ और न सनातनधर्मियों को दिक़्क़त पेश आयी.कई दशक से मो.शमीम के पटाखा से ही रावण,मेघनाथ और कुम्भकरण जलता है.

गांधी मैदान में रावण वध का नज़ारा

1957 से शुरू हुआ रावण वध

गया में आज़ादी के दस साल बाद 1957 में श्री दशहरा कमिटी ने रावण वध समारोह का आयोजन की नींव रखी.तब से आज तक यह सिलसिला जारी है.लंका दहन देखने हज़ारों की भीड़ जुटती है.मुसलमान भी रावण को जलते देखने भारी संख्या में जुटते हैं.हिन्दू-मुसलमान सब लंका दहन का गवाह बनते हैं.रावण को मुसलमान भी बुरा मानते हैं.रावण,मेघनाथ और कुम्भकरण का पुतला मुसलमान ही खड़ा करता है.मोहम्मद जफरु की टीम दशकों से रावण बनाने का काम कर रहा है.अथार्त,रावण बनाता भी है मुसलमान और पटाखा भी मुसलमान ही लगाता है. श्री दशहरा कमिटी के अजय कुमार तर्वे,संयोजक संजय कुमार सेठ,कोषाध्यक्ष संजय पाल और संगठन मंत्री दीपक चड्ढा की समारोह को सफल बनाने में महती भूमिका रहती है.एक तरह से मो.शमीम भी कमिटी के महत्वपूर्ण साथी हैं.रावण बनने से लेकर उसके अंदर पटाखा फ़िट करने तक में उनकी ख़ास निगरानी रहती है.नाजों पटाखा की तरफ़ से मो.चांद इसको को-ऑर्डिनेट करते हैं.कल समारोह में मोहम्मद चांद अपनी टीम के साथ सक्रीय रहे.समारोह में जिलाधिकारी त्यागराजन,एसएसपी आशीष भारती और श्री दशहरा कमिटी के तमाम पदाधिकारी,सदस्यगण मौजूद रहे.हज़ारों की भीड़ ने रावण को जलते देखा.प्रशासन की ओर से सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद प्रबंध था.

नाजों पटाखा के प्रोप्राईटर मो.शमीम

क्या कहते हैं मो.शमीम?

मो शमीम बताते हैं कि रावण वध की स्थापनाकाल से हमारा ही परिवार पटाखा लगाने का काम कर रहा है.पहले पिता जी करते थे,बहुत छोटे उम्र में ही हम भी इस काम में जुड़ गये और फिर पूरी ज़िम्मेवारी सम्भाल ली.रावण दहन में आतिशबाज़ी का रंगा-रंग कार्यक्रम हमारी यूनिट द्वारा ही होता है.इस कार्य में आठ लोगों की टीम काम करती है.सभी आतिशबाजी में अभ्यस्त कारीगर हैं.एक-दो को छोड़ अधिक्तर कारीगर मुस्लिम ही हैं.आतिशबाजी के वक़्त सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा जाता है.आजतक कोई शिकायत या गड़बड़ी नहीं हुई है.वह बताते हैं कि पूरे बिहार में रावण बनाने से लेकर पटाखा लगाने तक का काम मुसलमान ही करते हैं.वह भी सब गया के ही हैं.उनका कहना है कि सरकार लाइसेंसी प्रोसेस को आसान कर दे तो आतिशबाजी का कारोबार एक उद्योग का रूप ले सकता है.इस कारोबार से अभी हमारे यहां पचास लोग जुड़े हुए हैं,दो सौ परिवार का घर चलता है.लाईसेंस आसान होने से बड़ी संख्या में लोगों को रोज़गार मिल सकता है.

रावण वध के दौरान मो चांद श्री दशहरा कमिटी के सदस्यों के साथ

हिंदुस्तान की ख़ूबसूरती यही है

मो शमीम के मुताबिक़ सब जानते हैं रावण बुरा आदमी था.यही तो हिंदुस्तान की ख़ूबसूरती है.रावण बनाता मुसलमान,पटाखा भी लगाता मुसलमान और जलाता है सनातनधर्मी.भारत ऐसा देश दुनिया में कहां है.सामाजिक सौहार्द का ज़िंदा मिसाल है यह.वह कहते हैं देश का माहौल ज़रूर बदला है लेकिन गया का मिज़ाज आज भी मेल-मिलाप ,मुहब्बत ,एकता वाली है.यह एक कल्चरल प्रोग्राम है,धार्मिक है.इसके काम धंधे या देखने में क्या बुराई है.दशहरा बुराई के ख़िलाफ़ ही तो अच्छाई की जीत है और इस्लाम अच्छाई से नहीं रोकता.हिन्दू भाईयों को भी मुस्लिम कारीगरों से कभी एतराज़ नहीं रहा.हमारा उनसे बहुत ही प्रगाढ़ रिश्ता है.सम्मान करते हैं.इसी लिए भारी संख्या में मुसलमान भी रावण वध देखने गया के गांधी मैदान में जुटते हैं.

By admin

3 thoughts on “मिसाल-बेमिसाल:मो.शमीम के पटाखा से गया में वर्षों से जल रहा रावण”
  1. Wow, fantastic blog layout! How lengthy have you ever been blogging for?
    you make running a blog look easy. The total look of your web site is excellent,
    as well as the content! You can see similar here najlepszy sklep

  2. 9 simplified Alphonso, USA 2022 06 26 10 35 51 order priligy online uk Objectives To describe the endometrial appearance in postmenopausal breast cancer patients on tamoxifen and to assess a routine surveillance scheme for endometrial lesions

Leave a Reply

Your email address will not be published.